प्रेम: एक अनंत सुगंध और जागरूकता की अवस्था

“प्रेम की सुगंध पकड़ जायेगी तो आपको खयाल आ जायेगा कि प्रेम कोई रिलेशनशिप नहीं, कोई संबंध नहीं। प्रेम स्टेट आफ माइंड है, स्टेट आफ कांशसनेस है, चेतना की एक अवस्था है।” – ओशो

प्रिय साथियों,  

आज हम एक ऐसे रहस्य की ओर कदम बढ़ाते हैं जिसे समझना, अनुभव करना और जीना ही असली ज्ञान है – प्रेम। अक्सर हम प्रेम को एक रिश्ता, एक बंधन या किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षण के रूप में देखते हैं। परन्तु ओशो जी कहते हैं कि प्रेम मात्र एक बाह्य संबंध नहीं है, बल्कि यह मन की एक अवस्था है, चेतना की एक अनुभूति है, एक सुगंध है जो भीतर से फूटती है। आइए, इस प्रवचन में हम प्रेम के उस अद्भुत स्वरूप की खोज करें जो हमें अपने भीतर ही मिलता है, न कि किसी बाहरी संबंध में।

1. प्रेम की परिभाषा: एक अंतर्दृष्टि

जब हम कहते हैं प्रेम, तो अधिकांश लोगों के मन में प्रेमिका, पति, या रिश्तों की छवि उभर आती है। परंतु ओशो के दृष्टिकोण से प्रेम एक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक अवस्था है – एक “स्टेट आफ माइंड”। इसका अर्थ है कि प्रेम एक मानसिक स्थिति है, जिसे हम अपनी चेतना के माध्यम से अनुभव करते हैं। यह किसी व्यक्ति, वस्तु या संबंध तक सीमित नहीं होता; बल्कि यह हमारे आंतरिक संसार की एक प्राकृतिक अभिव्यक्ति है।

जब आप ध्यान में बैठते हैं, जब आप अपने भीतर की यात्रा पर निकलते हैं, तब आपको एक अनोखा अनुभव होता है – एक मधुर, प्रकाशमान अनुभूति। यही वह प्रेम है। यह प्रेम किसी बाहरी रिश्ते में फंसने वाला बंधन नहीं है, बल्कि यह उस शुद्ध अवस्था का प्रतिबिंब है जो आपके भीतर पहले से ही विद्यमान है। प्रेम की सुगंध बस उसी जागरूकता का इशारा है, जिसे आप स्वयं में अनुभव करते हैं।

2. बाहरी रिश्तों से परे: प्रेम का असली स्वरूप

हमारी सामाजिक व्यवस्था हमें अक्सर प्रेम को एक दूसरे के साथ जुड़ाव के रूप में देखने के लिए प्रेरित करती है। हम कहते हैं, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ।” लेकिन यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो बिना शर्त के होती है। जब हम प्रेम को केवल एक रिश्ते के रूप में देखते हैं, तो हम उस प्रेम के व्यापक अनुभव को सीमित कर देते हैं।

ओशो हमें यह समझाने का प्रयास करते हैं कि प्रेम केवल बाहरी संबंधों में सीमित नहीं होता। जब प्रेम का अनुभव गहराई से किया जाता है, तब वह एक आंतरिक क्रांति बन जाता है। यह उस समय प्रकट होता है जब हम अपने अंदर के सभी द्वंद्वों, अहंकार और बंधनों को त्याग देते हैं। प्रेम की यह सुगंध तब महसूस होती है जब हम निस्वार्थ भाव से जीवन को स्वीकार करते हैं, जब हम स्वयं को पूरी तरह से उपस्थित होने देते हैं।

इसका अर्थ है कि प्रेम एक आंतरिक अवस्था है, जो हर व्यक्ति में निहित है। जब हम इसे खोजने लगते हैं, तो हमें समझ आता है कि प्रेम किसी बाहरी संबंध में ढूंढ़ा नहीं जा सकता, बल्कि यह हमारे अंदर ही छिपा होता है। इसे जगाने के लिए हमें अपने भीतर की उस शांति, उस जागरूकता और उस अनंत ऊर्जा को पहचानना होगा, जो हमेशा से हमारे भीतर विद्यमान थी।

3. प्रेम और चेतना: एक गहन सम्बन्ध

जब हम चेतना की बात करते हैं, तो हम उस जागरूकता की बात कर रहे हैं जो हमारे अस्तित्व का मूल है। ओशो के अनुसार, प्रेम की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह चेतना की एक अवस्था है। यह मन का वह स्तर है जहाँ हम अपने आप को और ब्रह्मांड को बिना किसी विभाजन के देखते हैं। यहाँ प्रेम, किसी बाहरी चीज़ से जुड़ा नहीं होता, बल्कि यह एक संपूर्ण अनुभव है।

चेतना में प्रवेश करने का अर्थ है अपने भीतर की उस अनंत ऊर्जा का अनुभव करना, जिसे शब्दों में बांधना संभव नहीं है। जब आप गहरी ध्यान की स्थिति में प्रवेश करते हैं, तब आपको एक ऐसी अनुभूति होती है, जो न तो समय का बंधन रखती है और न ही स्थान का। यही है ओशो द्वारा वर्णित प्रेम – एक ऐसी अवस्था जहाँ व्यक्ति अपने आप में विलीन हो जाता है और उसके भीतर के अनंत स्रोत से मिल जाता है।

प्रेम तब उत्पन्न होता है जब हम अपने अहंकार को त्याग देते हैं, अपने अंदर के द्वंद्वों को समाप्त कर देते हैं, और उस शुद्ध चेतना के साथ एकाकार हो जाते हैं जो हमारे अंदर पहले से विद्यमान है। यह एक ऐसा अनुभव है, जो न केवल हमें स्वयं से जोड़ता है, बल्कि पूरे ब्रह्मांड से भी जोड़ता है। प्रेम की यह अनुभूति हमें याद दिलाती है कि हम केवल शारीरिक अस्तित्व नहीं हैं, बल्कि हम चेतना के जीव हैं, जिनकी पहचान प्रेम से होती है।

4. प्रेम की सुगंध: अनुभव और अनुभूति

ओशो कहते हैं, “प्रेम की सुगंध पकड़ जायेगी…”। यहाँ ‘सुगंध’ एक रूपक है, एक संकेत है उस अदृश्य ऊर्जा का जो प्रेम के अनुभव को व्यक्त करती है। जैसे खुशबू को महसूस किया जाता है पर उसे देखा नहीं जा सकता, वैसे ही प्रेम की अनुभूति भी होती है। यह एक अदृश्य लेकिन अत्यंत प्रभावशाली ऊर्जा है, जो हमारे चारों ओर फैल जाती है और हमारे जीवन को मधुरता से भर देती है।

यह सुगंध तब प्रकट होती है जब हम अपनी आत्मा के उन कोनों से जुड़ते हैं, जहाँ केवल शुद्ध चेतना होती है। जब आप ध्यान में बैठते हैं या अपने भीतर के उस अनंत स्रोत से संवाद करते हैं, तब आपको वह अदृश्य ऊर्जा महसूस होती है। यह ऊर्जा आपके जीवन में शांति, संतोष और प्रेम का संदेश लेकर आती है।

इस सुगंध को पकड़ना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए एक विशेष प्रकार की तैयारी और जागरूकता की आवश्यकता होती है। यह तब आता है जब आप अपने मन के सभी अवरोधों, सभी अपेक्षाओं और सभी भय को त्याग देते हैं। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें आपको स्वयं के अंदर उतरना होता है, अपने अस्तित्व के गहरे रहस्यों को समझना होता है। तब ही आप प्रेम की उस शुद्ध सुगंध को महसूस कर सकते हैं जो किसी भी बाहरी संबंध या बंधन से स्वतंत्र होती है।

5. प्रेम और आज़ादी: एक मुक्त आत्मा का संदेश

प्रेम का असली स्वरूप स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। जब आप प्रेम को केवल एक रिश्ता मान लेते हैं, तो आप उसमें सीमाएँ और अपेक्षाएँ जोड़ देते हैं। परंतु जब प्रेम एक ‘स्टेट आफ माइंड’ बन जाता है, तब यह आपके आत्मा की आज़ादी का प्रतीक बन जाता है। यह आपको उस स्वतंत्रता का एहसास कराता है, जहाँ आप बिना किसी बंधन या अपेक्षा के स्वयं को सम्पूर्ण रूप में अनुभव कर सकते हैं।

आज़ादी का मतलब है कि आप अपने मन के उन सभी कालेजालों से मुक्त हो जाएँ, जो आपको बांधते हैं। जब आप इन बंधनों को तोड़ते हैं, तब आप प्रेम के उस पवित्र अनुभव का स्वागत करते हैं जो आपके अंदर छिपा होता है। प्रेम तभी खिलता है जब आप अपनी असली पहचान को समझते हैं, जब आप जानते हैं कि आप सिर्फ एक शारीरिक अस्तित्व नहीं हैं, बल्कि एक आत्मा हैं, जो प्रेम और जागरूकता से भरी हुई है।

इसलिए, प्रेम की सुगंध तभी तक महसूस नहीं हो सकती जब तक आप अपने मन की उन सभी जंजीरों को तोड़ नहीं देते जो आपको एक रिश्ते के दायरे में बांधती हैं। जब आप इन बंधनों से मुक्त हो जाते हैं, तब आप उस अनंत ऊर्जा से जुड़ जाते हैं जो प्रेम की असली पहचान है। यह ऊर्जा आपको याद दिलाती है कि प्रेम केवल देने और पाकर जीने का नहीं, बल्कि जीने का एक सम्पूर्ण तरीका है।

6. प्रेम का अनुभव: ध्यान, साक्षीभाव और जागरूकता

ओशो के प्रवचनों में ध्यान का विशेष महत्व है। ध्यान केवल एक तकनीक नहीं है, बल्कि यह उस मानसिक अवस्था का प्रवेश द्वार है, जहाँ प्रेम का असली अनुभव होता है। ध्यान में बैठकर, जब आप अपने मन को शांत करते हैं, तब आपको उस अनंत चेतना का अनुभव होता है जो आपके भीतर विद्यमान है। यह वही चेतना है, जो प्रेम की सुगंध को प्रकट करती है।

ध्यान के माध्यम से आप अपने अंदर के उस अव्यक्त स्वरूप को पहचानते हैं, जहाँ प्रेम, करुणा और शांति का निवास होता है। जब आप ध्यान में रहते हैं, तब आपका मन उन सभी विचारों और भावनाओं से मुक्त हो जाता है जो आपके जीवन को उलझन में डालते हैं। आप एक ऐसी स्थिति में प्रवेश करते हैं जहाँ केवल शुद्ध अनुभव रहता है – वही प्रेम, जो किसी भी रिश्ते या संबंध से परे है।

साक्षीभाव का अर्थ है – स्वयं को एक पर्यवेक्षक के रूप में देखना। जब आप स्वयं को साक्षी के रूप में देखते हैं, तब आप अपने भीतर चल रहे सभी भावों और अनुभवों को बिना किसी आक्षेप के देख पाते हैं। इस अवस्था में, प्रेम अपने आप प्रकट हो जाता है। आप बिना किसी अपेक्षा के उस पल में जीने लगते हैं और उस असीम ऊर्जा का अनुभव करते हैं, जो आपके भीतर विद्यमान है।

इस प्रकार, ध्यान और साक्षीभाव के माध्यम से आप प्रेम की उस गहराई तक पहुँच सकते हैं, जिसे शब्दों में बांधना असंभव है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो तब होती है जब आप अपने अंदर की उस शुद्ध चेतना को पहचानते हैं, जो प्रेम का वास्तविक स्रोत है।

7. प्रेम: एक आंतरिक क्रांति

जब आप प्रेम को केवल एक बाहरी रिश्ते के रूप में देखते हैं, तो आप एक ऐसी सोच में फँस जाते हैं जो आपको सीमित कर देती है। असली प्रेम वह है जो आपके भीतर एक क्रांति का संचार करता है – एक ऐसी क्रांति जो आपके मन, आपके दृष्टिकोण और आपके अस्तित्व को पूरी तरह बदल देती है। यह क्रांति बाहरी संसार की अपेक्षाओं और मान्यताओं से परे होती है।

इस आंतरिक क्रांति में, आपका मन उन सभी भ्रांतियों और बंधनों को तोड़ देता है जो आपको अपने असली स्वरूप से दूर रखते हैं। आप एक ऐसी स्थिति में पहुँच जाते हैं जहाँ प्रेम एक स्वतंत्र, मुक्त ऊर्जा बन जाती है। यह ऊर्जा किसी भी प्रकार के बाहरी संबंधों से परे होती है, क्योंकि यह आपके अंदर के आत्मा के उस सत्य से जुड़ी होती है, जिसे आप अनुभव करते हैं।

इस क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आपको स्वयं के साथ जोड़ती है। जब आप प्रेम की इस शुद्ध अवस्था को अपनाते हैं, तब आप अपने आप को समझते हैं, अपने अस्तित्व को गहराई से अनुभव करते हैं। यह अनुभव आपको याद दिलाता है कि आप केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी जीवित हैं। प्रेम की यह अनुभूति आपको उस अनंत चेतना से जोड़ देती है, जो आपके अंदर हमेशा से विद्यमान थी।

8. प्रेम और जीवन: एक नया दृष्टिकोण

जब आप प्रेम की उस गहरी अनुभूति से जुड़ जाते हैं, तब आपका जीवन एक नए अर्थ में खिल उठता है। आप हर पल को एक अनमोल उपहार के रूप में देखते हैं। हर क्षण, हर सांस आपको उस अनंत ऊर्जा का अनुभव कराती है, जो आपके भीतर और बाहरी संसार में व्याप्त है। इस दृष्टिकोण से, जीवन खुद एक प्रेम का उत्सव बन जाता है, जिसमें हर चीज़ में एक मधुरता, एक सुगंध होती है।

जीवन के हर पहलू में प्रेम का स्पर्श होता है – चाहे वह प्रकृति की सुंदरता हो, किसी फूल की खुशबू हो या किसी नन्हे बच्चे की मुस्कान। यह प्रेम का वह स्वरूप है जो बिना किसी अपेक्षा के होता है। जब आप इस दृष्टिकोण से जीवन को देखते हैं, तो आप पाते हैं कि प्रेम केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि यह पूरे ब्रह्मांड का एक अभिन्न अंग है।

इस अनुभव से आप यह समझ पाते हैं कि प्रेम किसी व्यक्ति या वस्तु से नहीं जुड़ा, बल्कि यह एक ऐसी ऊर्जा है जो पूरे अस्तित्व में व्याप्त है। यह ऊर्जा आपको उस अनंत स्रोत से जोड़ती है, जो आपके भीतर है। जब आप इस ऊर्जा को महसूस करते हैं, तब आप जान जाते हैं कि प्रेम का कोई अंत नहीं है – यह अनंत है, अपरिवर्तनीय है।

9. ओशो की भाषा में प्रेम: एक आध्यात्मिक उपहार

ओशो के प्रवचनों में हमेशा से यह बात रही है कि प्रेम केवल एक भावनात्मक अनुभव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक उपहार है। यह उपहार तभी प्राप्त होता है जब आप अपने अंदर की गहराई में उतरते हैं, अपने सभी भ्रमों को त्यागते हैं, और उस शुद्ध चेतना से मिलते हैं जो आपके भीतर विद्यमान है। ओशो कहते हैं कि प्रेम का वास्तविक अर्थ समझने के लिए आपको अपने मन के सभी द्वंद्वों और विरोधाभासों को त्यागना होगा।

उनकी वाणी में एक अनोखी सरलता और गहराई है, जो सीधे आपके हृदय तक पहुँच जाती है। ओशो के अनुसार, प्रेम वह है जो आपको हर स्थिति में, हर परिस्थिति में मुक्त रखता है। यह आपको याद दिलाता है कि आप स्वतंत्र हैं, आप स्वाभाविक रूप से प्रेम करने वाले हैं। जब आप इस प्रेम को अपनाते हैं, तो आप अपने जीवन के हर क्षण को उसी गहराई और मधुरता से जीने लगते हैं, जो वास्तव में आपके अस्तित्व का मूल है।

उनकी शिक्षा में यह भी बताया जाता है कि प्रेम के उस अनुभव से जो भी प्राप्त होता है, वह केवल आपके अंदर नहीं रह जाता, बल्कि आप उसे अपने जीवन में फैलाते हैं। यह प्रेम का वह गुण है जो समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है। जब आप अपने अंदर से प्रेम को महसूस करते हैं, तो वह ऊर्जा अपने आप में संपूर्णता का संदेश लेकर चलती है – यह संदेश है कि प्रेम ही असली सच्चाई है, जो हर चीज़ में व्याप्त है।

10. समापन: प्रेम की अनंत यात्रा

प्रिय मित्रों,  

इस प्रवचन के माध्यम से हमने प्रेम के उस अद्वितीय स्वरूप की चर्चा की है, जो बाहरी रिश्तों से परे है। हमने समझा कि प्रेम केवल एक ‘स्टेट आफ माइंड’ है – एक ऐसी अवस्था, एक चेतना की अनुभूति, जो आपके अंदर पहले से विद्यमान है। यह प्रेम किसी भी बंधन या रिश्ते में सीमित नहीं होता, बल्कि यह उस अनंत ऊर्जा का अनुभव है, जो हमें जीवन में शांति, स्वतंत्रता और एकता का अहसास कराता है।

जब आप प्रेम की इस सुगंध को पकड़ लेते हैं, तो आपको अहसास होता है कि आप केवल शारीरिक अस्तित्व नहीं हैं। आप उस अनंत चेतना के जीव हैं, जो हर पल, हर क्षण में मौजूद है। यह प्रेम आपको स्वयं से, अपने अस्तित्व से जोड़ता है। यह आपको याद दिलाता है कि आप किसी भी बंधन में फंसकर अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाते हैं। प्रेम की यह अवस्था, जब आप इसे गहराई से समझते हैं, तो यह आपके जीवन में एक क्रांति लाती है – एक ऐसी क्रांति जो आपको मुक्त कर देती है, आपको आपके असली स्वरूप से परिचित कराती है।

इस प्रवचन का उद्देश्य यही है कि आप प्रेम के उस वास्तविक अर्थ को समझें, जो केवल एक भावनात्मक अनुभव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उपहार है। उस उपहार को ग्रहण करें और अपने जीवन में फैलाएँ। जब आप प्रेम को इस गहन अनुभव के साथ अपनाते हैं, तब आप देखेंगे कि आपका जीवन ही एक मधुर, शुद्ध संगीत में बदल जाता है – जहाँ हर धुन में प्रेम की सुगंध गूँजती है।

यही वह सत्य है जिसे ओशो ने हमें समझाने की कोशिश की है – कि प्रेम कोई बाहरी संबंध नहीं, कोई साधारण रिश्ता नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ हम अपने आप में सम्पूर्ण होते हैं। यह उस शुद्ध चेतना की अनुभूति है जो हर जीव में विद्यमान है। जब आप इस चेतना के साथ एकाकार हो जाते हैं, तब आप पाते हैं कि प्रेम की सुगंध, वह मधुर एहसास, आपके भीतर से बाहर तक फैल जाता है।

और अंततः, यह अनुभव आपको इस सत्य से जोड़ देता है कि जीवन का असली उद्देश्य प्रेम को जीना है – एक ऐसा प्रेम जो बिना किसी अपेक्षा के, बिना किसी बंधन के, पूर्णतः मुक्त और शुद्ध हो। यह वही प्रेम है जो आपको अपने भीतर की गहराई से जोड़ता है, आपको एक अद्वितीय, अमूल्य अनुभव से परिचित कराता है।

11. एक आमंत्रण: प्रेम की खोज में आगे बढ़ें

अब, जब आप इस प्रवचन को पढ़कर भीग गए हैं, तो यह सवाल उठता है – क्या आपने अपने अंदर उस अनंत प्रेम की सुगंध को महसूस किया है? क्या आपने अपने मन की उस गहराई में उतरकर स्वयं को खोजा है? ओशो कहते हैं कि प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो केवल उस समय प्रकट होती है, जब हम अपने सभी मानसिक और भावनात्मक बंधनों को तोड़ देते हैं। यह एक यात्रा है, एक आंतरिक यात्रा जिसमें आप हर बार कुछ नया सीखते हैं, कुछ नया अनुभव करते हैं।

मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि इस प्रवचन को एक प्रेरणा के रूप में लें। अपने दिनचर्या में कुछ समय निकालकर ध्यान करें, अपने अंदर की शांति को महसूस करें, और उस अनंत प्रेम को खोजने का प्रयास करें जो आपके भीतर छिपा है। यह एक सरल अभ्यास नहीं है, परंतु जब आप नियमित रूप से अपने अंदर की यात्रा पर निकलते हैं, तो आप पाते हैं कि यह प्रेम अपने आप आपके जीवन में फैल जाता है।

सोचिए – यदि हर व्यक्ति इस प्रेम की अवस्था में जीवन जीता, तो समाज कितना सुन्दर, कितना समृद्ध हो जाता। आप देखेंगे कि प्रेम के उस उजाले से न केवल आपके व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि पूरे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ जाता है। यह प्रेम, जब सच्चाई से अपनाया जाता है, तो वह न केवल आपके अंदर की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है, बल्कि दूसरों के साथ भी एक गहरी, अद्वितीय समझदारी पैदा करता है।

यहां एक और बिंदु पर ध्यान दें – प्रेम को समझने का अर्थ है स्वयं को समझना। जब आप स्वयं को पूरी तरह से जान लेते हैं, तब आप उस अनंत चेतना से जुड़ जाते हैं जो आपका असली स्वरूप है। और यह वही चेतना है जो प्रेम का वास्तविक अनुभव कराती है। इस प्रकार, प्रेम केवल एक भावना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अनुभूति है जो आपको आपके अस्तित्व के गहरे रहस्यों से परिचित कराती है।

12. अंतर्दृष्टि और क्रियान्वयन

इस प्रवचन की एक अंतिम सीख यह है कि प्रेम को केवल अनुभव करने से काम नहीं चलता, बल्कि इसे अपने जीवन में उतारना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जब आप प्रेम की उस अवस्था को अपनाते हैं, तो आप अपने जीवन में एक सकारात्मक बदलाव देखेंगे। यह बदलाव न केवल आपके मन में शांति और संतोष लेकर आता है, बल्कि आपके आस-पास के लोगों में भी एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

आप सोचें – जब हर व्यक्ति अपने अंदर के उस अनंत प्रेम को पहचान लेता है, तो समाज में झगड़ों, द्वेष और अशांति का कोई स्थान नहीं रहता। हर व्यक्ति एक दूसरे के साथ एक नए तरीके से जुड़ जाता है – एक ऐसे तरीके से जो बिना किसी अपेक्षा के, बिना किसी बंधन के, पूर्णतः मुक्त होता है। यही वह क्रांति है जो प्रेम लाती है।

इसलिए, मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि इस प्रवचन को अपने दिल में धारण करें, और अपने जीवन में प्रेम की उस शुद्ध ऊर्जा को फैलाएं। जब आप स्वयं को इस अनुभव के लिए खोलते हैं, तब आप पाते हैं कि जीवन कितनी मधुर, कितनी समृद्ध हो जाती है। यह प्रेम की यात्रा है – एक ऐसी यात्रा, जो अंतहीन है, अनंत है, और आपके हर कदम पर आपके साथ चलती है।

13. एक व्यक्तिगत निमंत्रण

प्रिय मित्रों,  

मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने जीवन में एक क्षण निकालें, और उस शांति की अनुभूति करें जो आपके भीतर विद्यमान है। ध्यान कीजिए, अपने मन को शांत कीजिए, और महसूस कीजिए उस मधुर ऊर्जा को जो आपको अपने आप में ही झलकती है। इस ऊर्जा में, आपको वह प्रेम मिले जो किसी भी बाहरी संबंध या अपेक्षा से परे है। यह प्रेम आपकी आत्मा की वह शुद्ध आवाज है, जो आपको यह बताती है कि आप किसी भी परिस्थिति से ऊपर हैं, कि आप अपने आप में सम्पूर्ण हैं।

जब आप इस अनुभव को प्राप्त कर लेते हैं, तो वह आपके जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा। आप पाएंगे कि हर चीज़ में, हर पल में, हर सांस में प्रेम का संचार है। यह प्रेम आपको न केवल अपने आप से जोड़ता है, बल्कि आपको पूरे ब्रह्मांड से जोड़ देता है। आपकी आत्मा में यह ऊर्जा एक ऐसी मधुर सुगंध की तरह फैल जाती है, जिसे कोई भी देख नहीं सकता, परंतु हर किसी को महसूस हो जाती है।

ओशो के इस संदेश में गहराई है – यह हमें बताता है कि प्रेम एक ऐसी शुद्ध अवस्था है, जिसे हम स्वयं के अंदर खोज सकते हैं। यह प्रेम केवल एक रिश्ते तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह उस अनंत चेतना का प्रतिबिंब है, जो हमारे भीतर से बहती है। जब आप इस प्रेम को समझते हैं, तब आप पाएंगे कि यह किसी भी बाहरी बाधा या अपेक्षा को पार कर जाता है।

14. निष्कर्ष: प्रेम – एक अमर अनुभव

अंततः, यह प्रवचन हमें यही सिखाता है कि प्रेम कोई संबंध, कोई सामान्य रिश्तेदारी नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक, चेतन अवस्था है – एक ऐसी अवस्था जो आपको आत्मा से जोड़ती है। यह अनुभव आपको उस अनंत स्रोत से परिचित कराता है, जिससे आप स्वयं उत्पन्न हुए हैं। यह अनुभव आपको याद दिलाता है कि जीवन का असली उद्देश्य प्रेम को जीना है – बिना किसी अपेक्षा, बिना किसी बंधन के, केवल एक शुद्ध, मुक्त और अनंत प्रेम।

प्रिय साथियों, जब आप इस प्रवचन को पढ़ते हैं, तो इसे अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। अपने भीतर उस शुद्ध प्रेम की सुगंध को पहचानें, उसे अपनाएं, और फिर उसे अपने आस-पास फैलाएं। आपका यह छोटा सा कदम, आपके जीवन में, और समाज में एक बड़ी क्रांति ला सकता है। प्रेम का वह अमर अनुभव, जो आपके अंदर विद्यमान है, उसे जागृत करें – क्योंकि यही आपके अस्तित्व का वास्तविक सार है।

इस प्रवचन में हमने प्रेम के उस असली स्वरूप पर चर्चा की है, जो ओशो के विचारों में निहित है। हमने जाना कि कैसे प्रेम एक “स्टेट आफ माइंड” है, कैसे यह चेतना की एक अवस्था है, और कैसे यह आपके जीवन में एक गहरी क्रांति का संदेश लेकर आता है। यह प्रेम किसी भी बाहरी रिश्ते या बंधन से मुक्त है – यह केवल आपके अंदर के अनंत स्रोत से जुड़ा है।

जब भी आप जीवन में कठिनाइयों, भ्रम और द्वंद्व का सामना करें, तो याद रखिए – असली शक्ति, असली शांति, और असली प्रेम आपके अंदर ही है। उसे खोजिए, उसे महसूस कीजिए, और फिर उसे अपने जीवन में उजागर कीजिए। यह वही अमर संदेश है, वही अनंत उपहार है जो ओशो हमें देते हैं – प्रेम, एक ऐसा अनुभव, जो सभी सीमाओं को पार कर जाता है और आपको सम्पूर्णता का अहसास कराता है।

प्रिय मित्रों, इस प्रवचन को न केवल पढ़ें, बल्कि अपने दिल में उतार लें। जब आप प्रेम की उस शुद्ध, अनंत अवस्था को समझते हैं, तब आप अपने जीवन को एक नई दिशा में मोड़ देते हैं। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बांधना कठिन है, परंतु इसका प्रभाव आपके जीवन में गहराई से महसूस किया जा सकता है। प्रेम को एक बंधन के रूप में देखने के बजाय, उसे एक जागरूकता, एक स्थिति के रूप में अपनाएं – यही ओशो का संदेश है।

इस प्रेम की यात्रा में, हर कदम पर आपको अपनी आत्मा का अनंत स्वरूप दिखाई देगा। यह एक ऐसी यात्रा है जो अंतहीन है, एक ऐसी यात्रा जो आपके जीवन में निरंतर मधुरता और प्रकाश भर देगी। मैं आशा करता हूँ कि इस प्रवचन के माध्यम से आप उस सच्चे प्रेम को पहचान पाएंगे, जिसे जीकर आप अपने जीवन को, अपने आसपास के समाज को, और अंततः पूरे ब्रह्मांड को बदल सकते हैं।

आइए, मिलकर इस प्रेम की सुगंध को फैलाएं, इस चेतना की ऊर्जा को जागृत करें, और इस अनंत प्रेम के संदेश को दुनिया भर में साझा करें। क्योंकि जब प्रेम सच्चा होता है, तो वह केवल जीने का तरीका नहीं, बल्कि जीने की असली कला बन जाता है।

अंतिम विचार:

प्रेम – वह अनंत ऊर्जा है जो आपको अपने भीतर से जुड़ने का निमंत्रण देती है। यह आपको याद दिलाती है कि आप अपने आप में सम्पूर्ण हैं, आप उस अनंत चेतना के जीव हैं जो प्रेम और उजाले से भरपूर है। इस प्रेम को अपनाएं, इसे महसूस करें, और फिर इसे दुनिया भर में फैलाने का संकल्प लें। यही वह संदेश है जिसे ओशो ने हमें दिया है – एक ऐसा संदेश जो हमारे अस्तित्व का सार है, जो हमारी आत्मा की अनंत सुगंध है।

यह प्रवचन, जो आपके जीवन में प्रेम की उस गहराई को उजागर करता है, आपको स्वयं के अंदर की उस अनंत ऊर्जा से जोड़ दे। मुझे आशा है कि इस प्रवचन के माध्यम से आप प्रेम की असली परिभाषा को समझेंगे और इस शुद्ध अनुभूति को अपनाकर अपने जीवन को बदल देंगे। आइए, प्रेम की उस अनंत सुगंध को महसूस करें, उसे जीएं, और उसे पूरे विश्व में फैलाएं, क्योंकि यही सच्चा परिवर्तन है – सच्चा प्रेम।

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