"जब किसी से प्रेम हो जाए तो उससे केवल प्रेम करना, उसे पाने या उसे जानने का प्रयास मत करना। जितना उसे पाने या जान लेने का प्रयास करोगे, उतना ही तुम दुख पाओगे। प्रेम हुआ है तो प्रेम करो, बस और कुछ मत करो!" - ओशो

ओशो प्रेम को किसी बंधन में नहीं बाँधते।
वे कहते हैं, "प्रेम अगर सच्चा है, तो वह स्वतंत्र रहेगा। अगर वह बंध गया, तो प्रेम नहीं रहेगा, वह कैद बन जाएगा।"
आज के समाज में प्रेम एक व्यापार बन गया है।
लोग प्रेम नहीं करते, बल्कि सौदा करते हैं।
वे कहते हैं, "अगर तुम मुझसे प्रेम करते हो, तो यह करो, वह करो।"
लेकिन ओशो कहते हैं—"सच्चा प्रेम किसी शर्त पर निर्भर नहीं करता।"
तो चलो, इस सत्य को गहराई से समझते हैं।

1. प्रेम है तो बस प्रेम करो, मत माँगो!

ओशो कहते हैं, "प्रेम कोई वस्तु नहीं है जिसे पाया जाए। प्रेम कोई उपलब्धि नहीं है जिसे हासिल किया जाए। प्रेम तो बस एक स्थिति है।"

लेकिन हमारा मन क्या करता है?

- वह प्रेम को पकड़ने की कोशिश करता है।
- वह प्रेम को 'मेरा' और 'तेरा' में बाँटना चाहता है।
- वह प्रेम में अधिकार चाहता है।
और जैसे ही प्रेम में अधिकार आता है, प्रेम मरने लगता है।
तुमने देखा होगा—जब प्रेम नया-नया होता है, तो वह सुंदर होता है, हल्का होता है, बहता है।
लेकिन जैसे ही तुम सोचते हो, "यह मेरा है," प्रेम में तनाव आ जाता है।
तुम्हें डर लगने लगता है—"अगर यह चला गया तो?"
और इसी डर में प्रेम नष्ट हो जाता है।
ओशो कहते हैं, "जो चीज़ जितनी अधिक खुली होती है, वह उतनी ही गहरी होती है। जो चीज़ जितनी ज्यादा जकड़ी जाती है, वह उतनी ही नष्ट हो जाती है।"

2. पाने की कोशिश करोगे तो दुख मिलेगा

तुमने देखा होगा, जब कोई प्रेम में होता है, तो वह बार-बार अपने प्रेमी या प्रेमिका से पूछता है:
- "तुम मुझसे कितना प्रेम करते हो?"
- "क्या मैं तुम्हारे लिए सबसे खास हूँ?"
- "तुम्हारे जीवन में कोई और तो नहीं?"
ओशो कहते हैं, "यह प्रेम नहीं, यह डर है!"
यह डर है खोने का, यह डर है अकेले रह जाने का।
ओशो कहते हैं, "जिस प्रेम में भय है, वह प्रेम नहीं, बल्कि किसी चीज़ का मोह है।"
अगर तुम किसी को पाने की कोशिश करोगे, तो वह तुमसे दूर जाने लगेगा।
क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता चाहता है, गुलामी नहीं।
यह ऐसे ही है जैसे तुम आकाश में उड़ते एक पंछी को पकड़ने की कोशिश करो।
जितना उसे पकड़ोगे, वह उतना ही तुम्हारे हाथ से फिसलेगा।
लेकिन अगर तुम उसे उड़ने दो, तो वह अपने मन से तुम्हारे पास आएगा।

3. प्रेम को समझने का प्रयास मत करो

ओशो कहते हैं, "प्रेम को समझने की कोशिश मत करो, उसे जीओ।"
हम प्रेम को एक गणित की तरह हल करना चाहते हैं।
हम सोचते हैं कि अगर हम प्रेम को समझ लेंगे, तो हम उसे नियंत्रित कर लेंगे।
लेकिन प्रेम कोई वैज्ञानिक फॉर्मूला नहीं है जिसे तुम समझ सको।
तुम नदी के किनारे बैठकर पानी को नहीं पकड़ सकते।
तुम सूरज की रोशनी को मुट्ठी में नहीं बंद कर सकते।
वैसे ही, तुम प्रेम को पकड़ नहीं सकते।
प्रेम कोई प्रश्न नहीं है जिसका उत्तर खोजा जाए।
प्रेम खुद में ही उत्तर है।
अगर प्रेम हुआ है, तो बस प्रेम करो।
मत सोचो, मत विश्लेषण करो, मत खोजो।

4. समाज में प्रेम को कैद कर दिया गया है

आज के समाज में प्रेम को कैद कर दिया गया है।
समाज कहता है:
- "प्रेम विवाह के बाद ही होना चाहिए।"
- "प्रेम जाति, धर्म, पैसे, प्रतिष्ठा देखकर किया जाना चाहिए।"
- "प्रेम के साथ ज़िम्मेदारी और त्याग आना चाहिए।"
लेकिन ओशो कहते हैं, "प्रेम एक सहज अनुभव है, यह कोई समझौता नहीं है।"
अगर प्रेम हो गया, तो हो गया।
तुम उसे किसी नियम में बाँध नहीं सकते।
ओशो कहते हैं, "समाज प्रेम से डरता है, क्योंकि प्रेम अगर स्वतंत्र हो जाए, तो पूरा समाज बदल जाएगा।"

5. प्रेम का असली रूप: आनंद

ओशो कहते हैं, "अगर प्रेम में आनंद नहीं है, तो वह प्रेम नहीं है।"
तुमने देखा होगा, जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तो वे खिल उठते हैं।
उनकी आँखों में चमक होती है, उनके चेहरे पर मुस्कान होती है।  
लेकिन जब प्रेम में अधिकार आ जाता है, तो वही प्रेम दुःख देने लगता है।
सच्चे प्रेम में कोई दुःख नहीं होता, कोई संघर्ष नहीं होता।
सच्चे प्रेम में सिर्फ आनंद होता है।

कैसे पहचाने कि तुम्हारा प्रेम सच्चा है या नहीं?

- अगर प्रेम में आनंद है, तो वह सच्चा है।
- अगर प्रेम में दुःख है, तो वह सिर्फ एक मोह है, प्रेम नहीं।
6. प्रेम को स्वार्थ से मुक्त करो
आज का प्रेम स्वार्थ से भरा हुआ है।
लोग कहते हैं, "अगर तुम मुझसे प्रेम करते हो, तो यह करो, वह करो।"
लेकिन यह प्रेम नहीं, सौदा है।
ओशो कहते हैं, "सच्चा प्रेम स्वार्थ से मुक्त होता है। वह बस देता है, कुछ लेता नहीं।"
अगर तुम किसी से प्रेम करते हो, तो यह मत सोचो कि वह बदले में तुम्हें प्रेम देगा या नहीं।
बस प्रेम करो, जैसे फूल खुशबू देता है, बिना किसी शर्त के।

7. प्रेम में जीना सीखो

अब सबसे बड़ा प्रश्न आता है—कैसे प्रेम करें?
ओशो कहते हैं, "प्रेम कोई क्रिया नहीं, बल्कि एक अवस्था है।"
अगर तुम्हारा हृदय प्रेम से भरा है, तो जो भी तुम्हारे पास आएगा, उसे प्रेम मिलेगा।
फिर वह प्रेम किसी व्यक्ति से नहीं बंधेगा, वह पूरे अस्तित्व में फैल जाएगा।

प्रेम में जीने के कुछ उपाय:

1. स्वतंत्र बनो: प्रेम को कैद मत करो, उसे उड़ने दो।  
2. प्रेम को बोझ मत बनाओ: जबरदस्ती प्रेम मत माँगो, बस दो।  
3. प्रेम को समझने की कोशिश मत करो: बस उसे बहने दो।  
4. प्रेम को आनंद बनाओ: अगर प्रेम में आनंद नहीं, तो वह प्रेम नहीं।
5. ध्यान से प्रेम को गहरा करो: ध्यान तुम्हें प्रेममय बना देगा।
ओशो कहते हैं, "प्रेम को समझने की जरूरत नहीं है, बस उसमें बह जाने की जरूरत है।"

8. निष्कर्ष: प्रेम करो, बस प्रेम करो!

ओशो का यही संदेश है—
"अगर प्रेम हुआ है, तो प्रेम करो, बस और कुछ मत करो।"
मत सोचो, मत प्रश्न उठाओ, मत डर पैदा करो।
बस प्रेम में बहो, जैसे नदी सागर में बहती है।
क्योंकि प्रेम जीवन की सबसे सुंदर अवस्था है।
अगर तुम्हें प्रेम हुआ है, तो तुम धन्य हो।
लेकिन अगर तुम उसे पकड़ने की कोशिश करोगे, तो वह तुमसे दूर चला जाएगा।
तो बस प्रेम करो—स्वतंत्र रूप से, निस्वार्थ रूप से, पूरी गहराई से।

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