"कभी कोई वादा मत करो, क्योंकि हो सकता है कि तुम उसे पूरा न कर सको।" – ओशो
मनुष्य जीवन भर वादों में उलझा रहता है। माता-पिता बच्चे से वादा करते हैं, प्रेमी प्रेमिका से, नेता जनता से, दोस्त दोस्त से। लेकिन क्या ये वादे पूरे होते हैं? शायद कुछ होते हों, लेकिन अधिकतर टूट जाते हैं।
ओशो कहते हैं कि वादा मत करो, क्योंकि तुम भविष्य के मालिक नहीं हो।
यह बहुत गहरी बात है। हम सोचते हैं कि हम अपनी जिंदगी के कर्ता-धर्ता हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि जीवन हमेशा अप्रत्याशित होता है।
आज अगर तुम किसी से कहते हो कि "मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा," तो यह सिर्फ एक भावनात्मक क्षण की उपज है। लेकिन कौन जानता है कि कल क्या होगा?
इसलिए वादा करने से पहले सोचो—क्या तुम सच में यह तय कर सकते हो कि भविष्य कैसा होगा?
1. वादा एक झूठी सुरक्षा देता है
जब तुम किसी को वादा करते हो, तो वह व्यक्ति आश्वस्त हो जाता है। उसे लगता है कि अब सब कुछ निश्चित है। लेकिन जीवन में कुछ भी निश्चित नहीं है।
उदाहरण:
एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से कहता है, "मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा।"
लेकिन कुछ सालों बाद परिस्थितियाँ बदल जाती हैं। दोनों का स्वभाव बदल जाता है, जिंदगी की प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं। और फिर वही प्रेमी कहता है, "अब हम साथ नहीं रह सकते।"
क्या उसने झूठ कहा था?
नहीं, उस समय वह सच बोल रहा था। लेकिन सच केवल वर्तमान का होता है, भविष्य का नहीं।
यही कारण है कि बुद्धिमान व्यक्ति कभी वादा नहीं करता। वह कहता है—"मैं कोशिश करूँगा, लेकिन मैं भविष्य का मालिक नहीं हूँ।"
2. वादे से मुक्ति कैसे मिले?
i) जागरूक बनो
अगर तुम किसी से वादा करने जा रहे हो, तो पहले देखो—क्या यह संभव है?
क्या यह वास्तविकता में बदल सकता है, या यह सिर्फ एक भावनात्मक क्षण की उपज है?
ii) सच्चाई स्वीकार करो
जीवन का स्वभाव परिवर्तनशील है।
कोई भी रिश्ता, कोई भी भावना स्थायी नहीं है। इसलिए सच को स्वीकार करो और सिर्फ वही कहो जो तुम्हारे हाथ में है।
iii) क्षण में जीना सीखो
वादा करने की जरूरत ही क्यों पड़ती है? क्योंकि हम भविष्य को लेकर असुरक्षित होते हैं।
अगर तुम वर्तमान में पूरी तरह जी रहे हो, तो वादों की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उदाहरण:
अगर कोई तुमसे पूछे—"क्या तुम मुझसे हमेशा प्रेम करोगे?"
तो कहो—"मैं इस क्षण तुम्हें प्रेम करता हूँ, और यही मेरे पास सच है।"
3. समाज और वादों का खेल
समाज तुम्हें वादों में जकड़ना चाहता है।
तुम्हारे माता-पिता चाहते हैं कि तुम वादा करो कि तुम उनकी देखभाल करोगे।
तुम्हारा बॉस चाहता है कि तुम वादा करो कि तुम इस कंपनी में बने रहोगे।
तुम्हारा साथी चाहता है कि तुम वादा करो कि तुम कभी छोड़कर नहीं जाओगे।
लेकिन यह संभव नहीं है।
अगर तुम वादा कर भी लो, तो जीवन की धारा उसे कभी भी बदल सकती है।
इसलिए समाज वादों पर टिका है, लेकिन जीवन प्रवाह पर चलता है।
जो व्यक्ति जीवन को गहराई से समझता है, वह वादा नहीं करता—वह सिर्फ क्षण में जीता है।
4. वादे क्यों टूटते हैं?
i) इंसान बदलता रहता है
आज तुम जो हो, कल वैसे नहीं रहोगे।
आज तुम्हारी पसंद कुछ और है, कल कुछ और होगी।
अगर तुम खुद को नहीं समझ सकते, तो किसी और से वादा कैसे कर सकते हो?
उदाहरण:
कई लोग शादी के समय वादा करते हैं—"हम जीवन भर साथ रहेंगे।"
लेकिन 10 साल बाद वे तलाक ले लेते हैं।
क्या उन्होंने झूठ कहा था?
नहीं, उन्होंने सिर्फ यह नहीं समझा कि इंसान और परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं।
ii) परिस्थितियाँ बदल जाती हैं
उदाहरण:
कोई व्यक्ति अपने दोस्त से वादा करता है—"मैं जिंदगीभर तुम्हारे साथ रहूँगा।"
लेकिन बाद में उसके हालात बदल जाते हैं।
क्या वह दोस्त अब उस वादे के लिए उसे दोष दे सकता है?
यही वजह है कि ओशो कहते हैं—"वादे मत करो।"
5. बिना वादे के जीवन कैसा होगा?
लोग सोचते हैं कि बिना वादे के जीवन में स्थिरता नहीं होगी।
लेकिन सच्चाई यह है कि वादों से स्थिरता नहीं आती, बल्कि जागरूकता से आती है।
अगर तुम वादे नहीं करोगे, तो तुम्हारे रिश्ते और अधिक वास्तविक होंगे।
लोग तुम्हारे पास किसी झूठी सुरक्षा के लिए नहीं आएंगे, बल्कि प्रेम के लिए आएंगे।
बिना वादे के प्रेम शुद्ध होता है।
बिना वादे की दोस्ती सच्ची होती है।
"मैं भविष्य का मालिक नहीं हूँ।"
अगर तुम इस एक वाक्य को जीवन में उतार लो, तो तुम कभी किसी से झूठा वादा नहीं करोगे।
6. ध्यान और वादों का अंत
अगर तुम ध्यान में गहरे जाओगे, तो तुम्हें महसूस होगा कि जीवन में किसी भी चीज़ को पकड़ा नहीं जा सकता।
सबकुछ बदलता रहता है—तुम्हारे विचार, तुम्हारी भावनाएँ, तुम्हारी इच्छाएँ।
तुम सिर्फ वर्तमान में जी सकते हो।
जब ध्यान गहरा होता है, तो तुम समझ जाते हो कि वादों की कोई जरूरत नहीं।
जो होना है, वह होगा।
जो बदलना है, वह बदलेगा।
तुम बस क्षण को पूरी तरह जियो, बिना किसी झूठे वादे के।
7. जीवन का सार
1. वादे मत करो, क्योंकि तुम भविष्य के मालिक नहीं हो।
2. वादे झूठी सुरक्षा देते हैं, लेकिन जीवन असुरक्षित ही सुंदर है।
3. अगर तुम वादे नहीं करोगे, तो तुम्हारे रिश्ते अधिक वास्तविक होंगे।
4. बुद्धिमान व्यक्ति क्षण में जीता है, भविष्य की चिंता नहीं करता।
5. समाज तुमसे वादे करवाना चाहता है, लेकिन ध्यान में रहने वाला व्यक्ति कभी वादा नहीं करता।
अंतिम संदेश:
"मैं भविष्य का मालिक नहीं हूँ। मैं इस क्षण तुम्हें प्रेम करता हूँ, और यही सत्य है।"
यही जीवन की सच्ची सुंदरता है।
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