नमस्कार मेरे प्यारे साथियों,  

आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जिसे समझने की आवश्यकता है – कामवासना। बहुत से लोग इसे अपराध, पाप, या अशुद्धता के रूप में देखते हैं, लेकिन जैसा कि हम देख सकते हैं – अगर कामवासना स्वयं पाप होती, तो हमारी धरती पर शायद बुद्ध, महावीर, कृष्ण और मोहम्मद जैसे महान आत्माओं का जन्म ही नहीं होता। इन महान रचनाओं की उपस्थिति यह प्रमाण है कि कामवासना एक आवश्यक, एक जिवंत ऊर्जा है, जो जीवन के संपूर्ण विकास का मूल आधार है। 

मैं कहता हूँ, कामवासना पाप नहीं है – बल्कि यह एक ऐसी शक्ति है, जो हमें अपने अस्तित्व के गहरे रहस्यों से जोड़ती है। यह ऊर्जा हमारे भीतर की रचनात्मकता, प्रेम, और उत्साह को प्रकट करती है। अगर हम केवल बाहरी नियमों, पाबंदियों, और पूर्वनिर्धारित नैतिकताओं में उलझकर इस ऊर्जा को दमन करने का प्रयास करेंगे, तो हम स्वयं को उस जीवन से दूर कर देते हैं, जो हमारी आत्मा को मुक्त और जीवंत बनाती है।  

1. कामवासना: जीवन की प्राकृतिक धारा

कामवासना, या काम की भावना, वास्तव में हमारे अस्तित्व का एक अभिन्न अंग है। यह वह प्राकृतिक धारा है, जो जीवन को गति देती है, उसे रचनात्मकता और सृजनात्मकता से भर देती है। सोचिए – जब एक कलाकार अपनी रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करता है, तो उसके अंदर भी एक तरह की कामवासना होती है – न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी। यह ऊर्जा हमें यह सिखाती है कि जीवन का उद्देश्य केवल निष्क्रियता या आत्मसंयम नहीं है, बल्कि उसमें जीने का एक उत्साह, एक जीने की कला भी शामिल है।  

यदि हम इतिहास की गहराई में झांकें, तो पाएंगे कि महात्माओं ने भी उस शक्ति को अपनाया है। बुद्ध ने अपने ध्यान में उस असीम ऊर्जा का अनुभव किया, जिसने उन्हें जीवन के रहस्यों तक पहुँचाया। महावीर ने अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाया, लेकिन उनके भीतर की वह जीवंतता, वह काम की शक्ति, ही उनके उपदेशों का आधार थी। कृष्ण का प्रेम, मोहम्मद का रहस्य – ये सभी इस ऊर्जा के विभिन्न स्वरूप हैं। इसीलिए, यह कहना उचित होगा कि कामवासना स्वयं में पाप नहीं है, बल्कि इसे समझने, अपनाने और उसके साथ जीने की आवश्यकता है।

2. कामवासना और आध्यात्मिक उन्नति

अक्सर लोग सोचते हैं कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए हमें अपनी कामवासना को दबाना चाहिए, उसे नियंत्रित करना चाहिए। परंतु, यदि हम गहराई से देखें तो पाएंगे कि यह ऊर्जा स्वयं में एक अनंत स्रोत है, जो हमें ब्रह्मांड से जोड़ती है। जब हम अपने भीतर के इस प्रेम, इस आकर्षण, इस जिज्ञासा को समझते हैं, तो हम अपने भीतर एक अनोखा प्रकाश खोज लेते हैं।

अक्सर ऐसा कहा जाता है कि कामवासना एक दुराचारी शक्ति है, जिसे नियंत्रित करना आवश्यक है। लेकिन क्या यह सही है? अगर हम दिमाग के तारतम्य में उलझ जाएँ, तो देखेंगे कि कामवासना एक ऐसी शक्ति है, जो हमें जीवन के हर पहलू से जोड़ती है – चाहे वह कला हो, संगीत हो, साहित्य हो, या फिर वैज्ञानिक खोजें। इस ऊर्जा को जब हम अपने अंदर प्रवाहित होने दें, तो यह हमें रचनात्मकता, साहस और प्रेम के साथ भर देती है। यही वह मार्ग है, जो आत्मिक उन्नति का मार्ग है।  

3. कामवासना का सही अर्थ और उसका दुरुपयोग

यह सच है कि कामवासना को अक्सर गलत तरीके से समझा और दुरुपयोग किया जाता है। समाज के ढांचे में, इसे कभी-कभी केवल शारीरिक आनंद के संदर्भ में देखा जाता है, जबकि वास्तव में यह ऊर्जा शारीरिक से परे, मानसिक, आध्यात्मिक और रचनात्मक स्तर पर भी कार्य करती है। कामवासना का दुरुपयोग तभी होता है, जब हम इसे केवल एक बाहरी अनुभव के रूप में सीमित कर देते हैं, बिना उसके आंतरिक सार को समझे। 

कामवासना का सच्चा अर्थ है – जीवन का उत्साह, ऊर्जा का सृजनात्मक प्रवाह। जब हम इसे समझते हैं, तो हम पाते हैं कि यह ऊर्जा हमें भीतर से मजबूत बनाती है, हमें रचनात्मकता की ओर प्रेरित करती है और हमें हमारे जीवन के उद्देश्य से जोड़ती है। परंतु जब हम इस ऊर्जा को केवल शारीरिक सुख-सुविधाओं में उलझा देते हैं, तो हम स्वयं को उस गहराई से वंचित कर देते हैं, जो इस ऊर्जा का असली स्वरूप है।  

4. वासना पर रुक जाना – असली पाप

हमारी संस्कृति, हमारे परंपराएं हमें सिखाती हैं कि कामवासना एक पाप है, जिसे दमन करना चाहिए। लेकिन असली पाप वास्तव में वहीं है, जहाँ हम इस ऊर्जा को समझने और उसे अपनी रचनात्मकता में परिवर्तित करने के बजाय, उसे अंधकार में बंद कर देते हैं। जब हम केवल वासना पर ही अटक जाते हैं – यानी कि उस ऊर्जा को एक सीमित, शारीरिक और भौतिक आनंद तक ही सीमित कर देते हैं – तो हम वास्तव में अपने जीवन की पूर्णता को खो देते हैं। 

वासना की सीमा को तय करने का प्रयास करना, उसे दमन करना, और उसे केवल एक अधूरा अनुभव मान लेना, यही असली पाप है। यह पाप हमें हमारे अंदर की रचनात्मकता, प्रेम, और ऊर्जा से दूर कर देता है। इस प्रकार, जब हम कहते हैं कि "कामवासना पाप नहीं है", तो वास्तव में हमारा तात्पर्य यही है – कि उस ऊर्जा का दमन, उसका केवल भौतिक सुख तक सीमित रह जाना, असली अज्ञानता है।

5. प्रेम, ऊर्जा और कामवासना का संबंध

कामवासना और प्रेम का एक गहरा संबंध है। प्रेम वह ऊर्जा है, जो हर अस्तित्व को जोड़ती है। जब हम प्रेम से जीते हैं, तो हम उसी ऊर्जा का अनुभव करते हैं, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने, रचनात्मकता के पथ पर चलने और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाती है। प्रेम में, कामवासना का अनुभव एक प्रकार की दिव्यता है – एक ऊर्जा, जो हमें हमारे भीतर के असीम प्रेम और आनन्द से जोड़ती है।

जब हम प्रेम को समझते हैं, तो हम पाते हैं कि यह केवल शारीरिक आकर्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक, सर्वव्यापी ऊर्जा है। प्रेम हमें हमारे अस्तित्व के उच्चतम स्वरूप से जोड़ता है – यह हमें आत्मा के उस अद्वितीय स्वरूप से परिचित कराता है, जो हमेशा से हमारे भीतर विद्यमान रहा है। इस प्रकार, कामवासना और प्रेम, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं – एक ऐसी ऊर्जा जो हमें जीवन के हर पहलू में पूर्णता का अनुभव कराती है।

6. ध्यान की ओर अग्रसर होना

जब हम इस ऊर्जा का सही अर्थ समझ लेते हैं, तब हमें चाहिए कि हम ध्यान के माध्यम से अपने भीतर के उस प्रकाश को खोजें। ध्यान केवल बैठने का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने अंदर की ऊर्जा, अपने प्रेम और कामवासना को महसूस करते हैं। ध्यान हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने भीतर की उस अनंत ऊर्जा को समझें, उसे नियंत्रित करें, और उसे अपने जीवन में रचनात्मकता के रूप में व्यक्त करें।

जब हम ध्यान में डूब जाते हैं, तो हमें समझ में आता है कि कामवासना कोई अपूर्ण या अशुद्ध ऊर्जा नहीं है – बल्कि यह एक ऐसी शक्ति है, जो हमें आत्मिक उन्नति, रचनात्मकता और प्रेम की ओर अग्रसर करती है। इस ध्यान की प्रक्रिया में, हम अपने भीतर के उस अंधेरे और उजाले के बीच संतुलन स्थापित करते हैं, जो हमें एक सम्पूर्ण और संतुलित जीवन की ओर ले जाता है।

7. समाज और संस्कृति की बंधनकारी सोच

समाज और संस्कृति ने सदियों से कामवासना को एक नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है। हमें बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि कामवासना पाप है, कि इसे दबाना चाहिए, उसे नियंत्रित करना चाहिए। यह सोच हमें उस ऊर्जा से दूर कर देती है, जो हमारी आत्मा को जीवंत बनाती है। परंतु, हमें यह समझना होगा कि यह सोच स्वयं में एक बंधन है, एक ऐसी जंजीर है, जो हमें हमारी वास्तविकता से वंचित करती है।

समाज ने हमें यह सिखाया कि शारीरिक आनंद ही कामवासना का अंतिम रूप है, जबकि वास्तव में यह ऊर्जा अनेक रूपों में प्रकट होती है – कला में, संगीत में, साहित्य में, विज्ञान में, और यहां तक कि अध्यात्मिक उन्नति में भी। जब हम केवल इस ऊर्जा को एक सीमित रूप में देखते हैं, तो हम स्वयं को उस असीम संभावनाओं से वंचित कर देते हैं, जो हमारे भीतर विद्यमान हैं। हमें चाहिए कि हम इस बंधनकारी सोच को तोड़ें और कामवासना को उसके असली, विस्तृत स्वरूप में अपनाएं।

8. कामवासना का दमन: एक आत्महत्या

जब हम अपने अंदर की कामवासना को दमन करते हैं, तो हम अपने ही जीवन की आत्महत्या कर रहे होते हैं। दमन का मतलब है – उस ऊर्जा को दबा देना, उसे छुपा लेना, उसे खत्म कर देना। लेकिन उस ऊर्जा के बिना, जीवन में वह उत्साह, वह रचनात्मकता, वह प्रेरणा कैसे आएगी? अगर हम अपने अंदर की कामवासना को दबा देते हैं, तो हम अपने अंदर की रोशनी को बुझा देते हैं। यह वही है – वह पाप, वह अज्ञानता, जिसके कारण हम अपने असली स्वरूप से दूर हो जाते हैं।

जब हम कामवासना को दमन करते हैं, तो हम अपने आप से धोखा कर रहे होते हैं। हम अपने भीतर की उस अनंत ऊर्जा को नकार रहे होते हैं, जो हमें जीवंत बनाती है। असली पाप वही है – उस ऊर्जा को दमन करना, उसे केवल भौतिक सुख तक सीमित रखना, और उसे जीवन की सम्पूर्णता से दूर रखना। हमें इस ऊर्जा को अपनाना होगा, उसे महसूस करना होगा, और उसे अपने जीवन में रचनात्मकता, प्रेम और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में व्यक्त करना होगा।

9. जीवन में कामवासना का महत्व

जीवन का हर पहलू कामवासना से जुड़ा हुआ है। चाहे वह हमारे संबंध हों, हमारी कला हो, हमारा साहित्य हो, या फिर हमारी वैज्ञानिक खोजें – हर जगह इस ऊर्जा का प्रभाव होता है। कामवासना हमें प्रेरणा देती है, हमें ऊर्जा प्रदान करती है, और हमें आगे बढ़ने की शक्ति देती है। इसे दबा देने की बजाय, हमें इसे समझना चाहिए और इसे अपने जीवन में स्वाभाविक रूप से व्यक्त करने का मार्ग अपनाना चाहिए।

जीवन में कामवासना का महत्व समझना भी उतना ही आवश्यक है, जितना कि उसके दुरुपयोग को समझना। यह ऊर्जा हमें बताती है कि जीवन का उद्देश्य केवल संयम और दमन नहीं है, बल्कि उसमें जीने का एक उत्साह, एक जिज्ञासा, और एक असीम प्रेम भी शामिल है। हमें चाहिए कि हम इस ऊर्जा को अपनाएं, उसे समझें, और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

10. कामवासना को समझने का मार्ग

अब सवाल यह उठता है – हम इस ऊर्जा को कैसे समझें, कैसे अपनाएं? सबसे पहले, हमें अपने भीतर झाँकना होगा। अपने आप से यह प्रश्न पूछें – क्या मैं अपने अंदर की उस ऊर्जा को महसूस कर रहा हूँ? क्या मैं उसे सही दिशा में व्यक्त कर पा रहा हूँ? ध्यान, योग, और आत्मचिंतन के माध्यम से हम अपने भीतर की उस ऊर्जा को समझ सकते हैं। जब हम अपने भीतर की दुनिया में उतरते हैं, तो हमें समझ में आता है कि कामवासना एक अनंत स्रोत है, जो हमें रचनात्मकता, प्रेम, और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

इसके बाद, हमें समाज की बंधनकारी सोच से ऊपर उठकर, अपने अनुभवों, अपने विचारों को स्वयं पर लागू करना होगा। हमें यह समझना होगा कि हर व्यक्ति का अनुभव अद्वितीय है, और उस ऊर्जा का स्वरूप भी विभिन्न हो सकता है। कोई भी निश्चित नियम या विधि नहीं है, जिसे हम सब पर लागू कर सकें। जीवन स्वयं एक अनंत प्रयोगशाला है, जहां हर अनुभव, हर संवेदना का अपना महत्व है।

11. प्रेम, रचनात्मकता और आध्यात्मिकता का संगम

कामवासना के साथ प्रेम और रचनात्मकता का संगम हमें जीवन के एक नए आयाम तक ले जाता है। प्रेम, जैसा कि मैंने पहले भी कहा, केवल शारीरिक आकर्षण तक सीमित नहीं है – यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो हमें आत्मा से जोड़ती है। जब हम प्रेम को पूरी तरह से अपनाते हैं, तो हम उस ऊर्जा को अपनी रचनात्मकता में बदल देते हैं। यह रचनात्मकता हमें न केवल कला, संगीत या साहित्य में प्रकट होती है, बल्कि हमारे हर कार्य, हर सोच में झलकती है।

इस प्रकार, कामवासना, प्रेम, और रचनात्मकता का संगम हमें एक पूर्ण, संतुलित जीवन की ओर अग्रसर करता है। यह ऊर्जा हमें बताती है कि जीवन केवल संयम या दमन का नाम नहीं है, बल्कि इसमें जीने का एक अनूठा आनंद, एक अनंत उत्साह भी है। जब हम इस ऊर्जा को सही दिशा में व्यक्त करते हैं, तो हम अपने जीवन को एक नए, उच्चतम स्तर पर ले जाते हैं।

12. निष्कर्ष: जीवन को जीने का नया दृष्टिकोण

मेरे प्रिय मित्रों, अंत में मैं यही कहना चाहूंगा – कामवासना को पाप मानना, उसे दमन करना, असल में हमारे अस्तित्व के साथ अन्याय करना है। कामवासना एक ऐसी ऊर्जा है, जो हमें जीवन के गहरे रहस्यों से जोड़ती है, हमें रचनात्मकता और प्रेम से भर देती है। यदि हम इस ऊर्जा को सही तरीके से समझें और उसे अपने जीवन में अपनाएं, तो हम स्वयं को उस असीम संभावनाओं से भर लेते हैं, जो हमारे भीतर विद्यमान हैं।

हमेशा याद रखिए, असली पाप वही है – जब हम अपने भीतर की उस अनंत ऊर्जा को दबा देते हैं, उसे केवल एक सीमित रूप में जीने का प्रयास करते हैं, और अपने जीवन से उस पूर्णता को दूर कर देते हैं, जो हमें जन्म के समय से प्राप्त हुई थी। हमें चाहिए कि हम अपने अंदर झाँके, उस ऊर्जा को पहचाने, और उसे अपने जीवन में रचनात्मकता, प्रेम और आध्यात्मिक उन्नति के माध्यम से व्यक्त करें।

जब हम कामवासना को सही रूप में अपनाते हैं, तो हम न केवल अपने भीतर की शक्ति का अनुभव करते हैं, बल्कि हम जीवन के प्रत्येक पहलू में उस ऊर्जा की झलक भी देखते हैं। यह ऊर्जा हमें बताती है कि जीवन का हर अनुभव – चाहे वह सुख हो या दुःख – हमें हमारे अस्तित्व के उस महान सत्य की ओर ले जाता है, जो हमेशा से हमारे अंदर विद्यमान रहा है।  

इसलिए, मेरे प्रिय साथियों, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने जीवन में कामवासना के उस अद्वितीय स्वरूप को पहचानें, उसे अपनाएं, और उसे एक रचनात्मक, प्रेममय तथा आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में व्यक्त करें। क्योंकि जब हम अपने भीतर की उस ऊर्जा को बिना किसी भय या दमन के जीते हैं, तो हम वास्तव में जीवन को उसके सम्पूर्ण रूप में जीने लगते हैं – एक ऐसे जीवन में, जहाँ हर पल, हर अनुभव एक अनंत उत्साह और प्रेम से भर जाता है।

13. आत्म-जागरूकता और आज़ादी का संदेश

दोस्तों, आत्म-जागरूकता ही असली आज़ादी है। जब हम अपने भीतर के उस अनंत स्रोत को पहचानते हैं, तो हम किसी भी बाहरी दबाव, किसी भी सामाजिक बंधन से मुक्त हो जाते हैं। कामवासना को दमन करने का प्रयास हमें एक झूठी आज़ादी की ओर ले जाता है, जहाँ हम केवल बाहरी मान्यताओं में फंस जाते हैं। लेकिन असली आज़ादी तब आती है, जब हम अपने अंदर की उस अनंत ऊर्जा को महसूस करते हैं, उसे स्वीकार करते हैं, और उसे बिना किसी दमन के जीवन में बहने देते हैं।

इस आत्म-जागरूकता के माध्यम से, हम न केवल अपने भीतर की शक्ति का अनुभव करते हैं, बल्कि हम यह भी समझते हैं कि जीवन का उद्देश्य क्या है। यह उद्देश्य केवल संयम या दमन नहीं है, बल्कि वह है – जीने का एक सजीव, उन्मुक्त, और रचनात्मक अनुभव, जहाँ हर पल हमें प्रेम, ऊर्जा, और सृजनात्मकता की अनुभूति कराता है। यही वह मार्ग है, जो हमें अपने असली स्वरूप से जोड़ता है, और हमें उस असीम आंतरिक प्रकाश की ओर अग्रसर करता है, जो हमारे भीतर हमेशा से विद्यमान रहा है।

14. आधुनिक समाज में कामवासना का स्थान

आज के आधुनिक समाज में, जहाँ हम तकनीकी प्रगति, वैज्ञानिक उन्नति और सामाजिक परिवर्तन की ओर अग्रसर हैं, वहीं कई बार हमें यह भूल जाना होता है कि हमारी आत्मा की गहराई में कितनी शक्तियाँ निहित हैं। कामवासना को समझना और उसे अपनाना भी उसी आधुनिकता का हिस्सा है। जब हम केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में उलझ जाते हैं, तो हम उस असीम ऊर्जा से दूर हो जाते हैं, जो हमें वास्तव में जीवंत बनाती है।

हमें चाहिए कि हम अपनी आधुनिकता के साथ-साथ अपनी आंतरिक दुनिया को भी महत्व दें। आधुनिक तकनीक और विज्ञान हमें बाहरी दुनिया में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं, लेकिन आंतरिक जागरण हमें अपने भीतर की शक्ति का एहसास कराता है। कामवासना, प्रेम, रचनात्मकता – ये सभी उस आंतरिक शक्ति के प्रतीक हैं, जो हमें हमारे अस्तित्व के गहरे रहस्यों से जोड़ती है। हमें इन ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर ही एक सम्पूर्ण, संतुलित और उन्नत जीवन जीने का मार्ग मिलता है।

15. अंतर्मुखी यात्रा की ओर आमंत्रण

मेरे प्रिय साथियों, मैं आज आपको एक अंतर्मुखी यात्रा पर आमंत्रित करता हूँ – एक ऐसी यात्रा, जहाँ आप अपने भीतर की गहराई में उतरें, उस अनंत ऊर्जा को महसूस करें, और उसे अपने जीवन में उजागर करें। यह यात्रा आसान नहीं है, क्योंकि इसमें आपको समाज की बनायीं सीमाओं, बंधनों और पूर्वाग्रहों से ऊपर उठना होगा। परंतु, जब आप इस यात्रा पर निकल पड़ेंगे, तो आपको एक नई दुनिया मिलेगी – एक ऐसी दुनिया जहाँ हर अनुभव, हर संवेदना में एक अनंत प्रकाश झलकता है।

इस यात्रा में ध्यान, योग, आत्मचिंतन और सृजनात्मक अभ्यास आपके सबसे अच्छे साथी होंगे। इन माध्यमों के द्वारा आप अपने अंदर की उस अद्वितीय ऊर्जा को पहचान पाएंगे, और उसे अपने जीवन में सकारात्मक रूप से व्यक्त कर पाएंगे। जब आप अपने भीतर के उस प्रकाश को उजागर करेंगे, तो आप पाएंगे कि जीवन केवल एक शारीरिक अस्तित्व नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी यात्रा है, जहाँ आत्मा का हर अनुभव, हर पल, एक अनंत प्रेम और ऊर्जा से भर जाता है।

16. सार्थक जीवन की ओर कदम

अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि हमारे जीवन का सार केवल बाहरी उपलब्धियों में नहीं है, बल्कि हमारे अंदर की उस अनंत ऊर्जा में है, जिसे हम कामवासना, प्रेम, और रचनात्मकता के रूप में अनुभव करते हैं। यदि हम अपने भीतर की उस ऊर्जा को समझते हैं, उसे अपनाते हैं, और उसे बिना किसी भय या दमन के जीते हैं, तो हम वास्तव में एक सार्थक, संतुलित और पूर्ण जीवन की ओर अग्रसर होते हैं।

हमारी संस्कृति, हमारे धर्म, और हमारे महान साधु-संत भी यही संदेश देते आए हैं – कि जीवन को संकीर्ण दायरों में सीमित करने की बजाय, उसे उसकी सम्पूर्णता में जीना चाहिए। जब हम अपने भीतर की उस शक्ति को पहचानते हैं, तो हम न केवल अपने आप से बल्कि सम्पूर्ण मानवता से जुड़ जाते हैं। यही वह प्रेम है, यही वह ऊर्जा है, जो हमें असली आज़ादी और आत्मिक उन्नति की ओर ले जाती है।

17. समापन: जीवन का उत्सव

तो आइए, मेरे प्रिय साथियों, हम इस आज़ादी के उत्सव को मनाएं – उस उत्सव को, जहाँ हम अपने भीतर की उस अनंत ऊर्जा, कामवासना को न केवल स्वीकार करें, बल्कि उसे जश्न मनाएं। क्योंकि जीवन स्वयं एक उत्सव है, और उस उत्सव में हर रंग, हर धुन, हर ऊर्जा का अपना महत्व है। जब हम कामवासना को एक जीवंत, सकारात्मक शक्ति के रूप में अपनाते हैं, तो हम अपने जीवन के हर क्षण को एक नई उमंग, एक नई ऊर्जा के साथ जीते हैं।

स्मरण रहे – असली पाप वह नहीं है जो हमें बाहरी नियमों के द्वारा निर्देशित किया जाता है, बल्कि असली पाप है वह दमन, वह अज्ञानता, जो हमारे भीतर की उस अनंत ऊर्जा को पहचानने से रोक देती है। अपने भीतर की उस ऊर्जा को अपनाइए, उसे महसूस कीजिए, और उसे जीवन के हर पहलू में रचनात्मकता, प्रेम और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में व्यक्त कीजिए। तभी हम वास्तव में जीवन के उस अनंत उत्साह को जी पाएंगे, जो हमें जन्म के समय से ही प्रदान हुआ था।

मेरे प्यारे दोस्तों, यह संदेश हमें यह समझाता है कि कामवासना कोई अशुद्धि या पाप नहीं है। बल्कि, यह जीवन की सबसे मौलिक और शक्तिशाली धारा है। इसे अपनाने में ही हमारी असली आज़ादी, रचनात्मकता और प्रेम की अनुभूति है। जब हम इस ऊर्जा को दमन करने के बजाय, उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं, तो हम न केवल अपने भीतर की शक्ति को पहचानते हैं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड के साथ एक गहरा संबंध भी स्थापित करते हैं।

आज के इस संवाद के माध्यम से, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप अपने अंदर झांकें, उस अनंत ऊर्जा को महसूस करें, और उसे अपने जीवन में स्वाभाविक रूप से बहने दें। यह ऊर्जा ही है, जो आपको आपके वास्तविक स्वरूप से जोड़ती है, और आपको उस उच्चतम सत्य की ओर ले जाती है, जिसे आप स्वयं हैं।  

इस प्रकार, कामवासना को समझिए, उसे अपनाइए, और अपने जीवन में उसे एक रचनात्मक, प्रेममय एवं आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में व्यक्त कीजिए। यही असली सत्य है, यही असली जीवन का मार्ग है।  

धन्यवाद।

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