ज्ञानी पुरुष के स्वप्न विलुप्त हो जाते हैं: ओशो की दृष्टि
प्रिय आत्मन,
ओशो का यह कथन साधारण शब्दों में गहरा और रहस्यमय सत्य समेटे हुए है। "ज्ञानी पुरुष के स्वप्न विलुप्त हो जाते हैं, क्योंकि नींद में भी वह स्मरण रख पाता है कि यह स्वप्न है।" यह वाक्य केवल बाहरी नींद और स्वप्न के बारे में नहीं है; यह जीवन की गहराई, हमारे मानसिक भ्रम और आध्यात्मिक जागरूकता पर प्रकाश डालता है। आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करें।
स्वप्न का अर्थ: जीवन और भ्रम
ओशो के लिए "स्वप्न" केवल रात में देखे जाने वाले दृश्य नहीं हैं। स्वप्न का अर्थ है हर वह भ्रम जो हमारे मन ने निर्मित किया है।
1. स्वप्न का मूल अर्थ:
स्वप्न हमारे अवचेतन मन की अभिव्यक्ति है। यह उन इच्छाओं, भय और चिंताओं का प्रतिबिंब है जिन्हें हम जाग्रत अवस्था में नहीं देख पाते।
2. जीवन भी एक स्वप्न:
ओशो बार-बार कहते हैं कि जिस जीवन को हम वास्तविक मानते हैं, वह भी एक स्वप्न है। यह जीवन भी उतना ही अस्थायी और क्षणिक है, जितना रात्रि का सपना।
ओशो की दृष्टि में, जब हम जीवन को स्वप्न के रूप में समझ लेते हैं, तब हम उसकी पकड़ से मुक्त हो जाते हैं। यह समझ ही जागृति है।
ज्ञानी और अज्ञानी में अंतर
इस कथन में ओशो ज्ञानी और अज्ञानी के बीच गहरे अंतर को रेखांकित करते हैं।
1. अज्ञानी का जीवन:
अज्ञानी वह है जो स्वप्न और वास्तविकता के बीच का अंतर नहीं जानता। वह रात को देखे गए स्वप्न को जागने के बाद भूल जाता है, लेकिन जाग्रत जीवन के स्वप्न को सच मानता है। वह अपने विचारों, धारणाओं और भावनाओं को वास्तविकता मान लेता है।
2. ज्ञानी का जीवन:
ज्ञानी पुरुष वह है जिसने स्वप्न और वास्तविकता का भेद समझ लिया है। वह जानता है कि जीवन एक स्वप्न है। जाग्रत अवस्था हो या नींद, उसका स्मरण बना रहता है।
ओशो कहते हैं, "ज्ञानी वह है जो सोते हुए भी जागा रहता है।" इसका अर्थ है कि उसका चैतन्य हर अवस्था में सक्रिय रहता है। वह जानता है कि सब कुछ एक खेल है, एक माया है।
स्मरण और जागरूकता
इस कथन का मुख्य पहलू "स्मरण" है। ओशो के अनुसार, स्मरण या जागरूकता वह कुंजी है, जो हमें स्वप्न से मुक्त करती है।
1. स्मरण का अर्थ:
- यह ध्यान की अवस्था है।
- यह वर्तमान में जीने की कला है।
- यह हर क्षण के प्रति सतर्कता है।
2. स्वप्न में स्मरण:
साधारण व्यक्ति जब स्वप्न देखता है, तो उसे यह पता नहीं होता कि वह स्वप्न है। वह उसमें खो जाता है। लेकिन ज्ञानी पुरुष स्वप्न में भी जागरूक रहता है। वह जानता है कि यह केवल एक माया है।
3. जीवन में स्मरण:
ओशो कहते हैं कि जाग्रत जीवन में भी यदि हम स्मरणशील हो जाएं, तो यह जीवन भी एक स्वप्न के समान प्रतीत होगा। तब हम इसे गंभीरता से लेना बंद कर देंगे।
स्वप्न से मुक्ति का मार्ग: ध्यान
ओशो के अनुसार, स्वप्न से मुक्त होने का एकमात्र तरीका ध्यान है। ध्यान का अर्थ है, अपनी चेतना को जागृत करना।
1. ध्यान की आवश्यकता:
- हमारा मन हमेशा भूत और भविष्य में रहता है। यह वर्तमान को नहीं देखता।
- ध्यान हमें वर्तमान में लाता है। यह हमें स्मरणशील बनाता है।
2. ध्यान का अभ्यास:
- ध्यान का अभ्यास साधारण है। यह केवल बैठकर अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करने से शुरू होता है।
- जब मन शांत हो जाता है, तो चेतना स्वाभाविक रूप से जागृत हो जाती है।
3. ध्यान और स्वप्न:
- ध्यान का गहरा अभ्यास हमें रात्रि के स्वप्न में भी जागरूक बना देता है।
- धीरे-धीरे, यह जागरूकता हमारे पूरे जीवन में फैल जाती है।
स्वप्न और वास्तविकता का भेद
ओशो के इस कथन में एक और गहरी बात छिपी है। वह हमें यह सिखाते हैं कि स्वप्न और वास्तविकता के बीच का भेद केवल अनुभव से समझा जा सकता है।
1. स्वप्न की अस्थिरता:
- स्वप्न क्षणिक होते हैं।
- जब हम जागते हैं, तो स्वप्न गायब हो जाता है।
2. जीवन की अस्थिरता:
- ओशो कहते हैं कि यह जीवन भी स्वप्न की तरह अस्थिर है।
- मृत्यु आने पर यह जीवन भी गायब हो जाता है, जैसे सुबह स्वप्न गायब हो जाता है।
3. वास्तविकता का अनुभव:
- केवल ध्यान और जागरूकता के माध्यम से ही वास्तविकता का अनुभव किया जा सकता है।
- यह अनुभव शब्दों में नहीं समझाया जा सकता।
ज्ञानी का जीवन: स्वप्न से परे
ज्ञानी पुरुष के जीवन को समझना आसान नहीं है। उसका जीवन स्वप्न और माया से परे होता है।
1. स्वप्न से मुक्ति:
- ज्ञानी पुरुष अपने अहंकार से मुक्त हो जाता है।
- वह जानता है कि वह इस ब्रह्मांड का एक हिस्सा है।
2. जीवन में सरलता:
- ज्ञानी का जीवन सरल और स्वाभाविक होता है।
- वह किसी भी चीज़ से बंधा हुआ नहीं होता।
3. स्मरण का प्रभाव:
- स्मरणशीलता उसे हर क्षण आनंदमय बनाती है।
- वह हर चीज़ को खेल के रूप में देखता है।
निष्कर्ष: स्वप्न और जागृति
ओशो के इस कथन का अर्थ केवल स्वप्न और जागृति तक सीमित नहीं है। यह हमें जीवन की गहराई को समझने की प्रेरणा देता है। यह हमें याद दिलाता है कि यह जीवन भी एक स्वप्न है, और हमें इसे खेल की तरह जीना चाहिए।
ओशो कहते हैं, "जब तुम जान जाते हो कि यह सब स्वप्न है, तब तुम मुक्त हो जाते हो। तब तुम स्वतंत्र हो जाते हो। तब तुम जीवन के हर पल का आनंद ले सकते हो।"
प्रिय आत्मन, इस कथन को अपने जीवन में उतारो। ध्यान करो, स्मरणशील बनो, और जानो कि यह जीवन भी एक स्वप्न है। यही ओशो का संदेश है।
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