कोई सूत्र पकड़कर चलने की जीवन में जरूरत नहीं है, क्योंकि परिस्थिति रोज बदल जाती है
प्रिय आत्मन,
ओशो का यह कथन साधारण प्रतीत होता है, लेकिन यह जीवन की गहरी समझ और रहस्य को अपने भीतर समेटे हुए है। "कोई सूत्र पकड़कर चलने की जीवन में जरूरत नहीं है, क्योंकि परिस्थिति रोज बदल जाती है।" इस कथन में ओशो हमें यह सिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि जीवन कोई स्थिर घटना नहीं है, बल्कि यह निरंतर परिवर्तन का नाम है।
यह प्रवचन हमें उस मानसिक जड़ता से मुक्त करता है, जिसे हम नियम, सिद्धांत और परंपराओं के नाम पर पकड़कर चलते हैं। ओशो के अनुसार, जीवन को समझने और जीने के लिए लचीलापन और जागरूकता की आवश्यकता होती है। आइए इस पर गहराई से विचार करें।
1. जीवन: एक प्रवाह
ओशो कहते हैं, "जीवन एक प्रवाह है। यह नदी की तरह बहता रहता है। इसमें कभी ठहराव नहीं है।"
1. जीवन का स्वभाव परिवर्तनशील है:
- हर दिन, हर पल कुछ नया लाता है।
- जैसे समय बदलता है, वैसे ही जीवन की परिस्थितियां भी बदलती हैं।
- यदि हम जीवन को स्थिर मान लें, तो यह हमारे लिए पीड़ा का कारण बन जाता है।
2. प्रवाह के विरुद्ध जाने का परिणाम:
- हम जीवन को नियमों और सूत्रों में बांधने का प्रयास करते हैं।
- यह ऐसा है जैसे नदी के प्रवाह को रोकने का प्रयास करना।
- जब हम बदलाव का विरोध करते हैं, तो संघर्ष और पीड़ा उत्पन्न होती है।
3. परिवर्तन को स्वीकार करना:
- ओशो के अनुसार, हमें जीवन के इस स्वभाव को समझना होगा और इसे अपनाना होगा।
- जब हम बदलाव को गले लगाते हैं, तब जीवन एक सुंदर अनुभव बन जाता है।
2. सूत्रों की जकड़न से मुक्ति
ओशो बार-बार कहते हैं कि किसी सूत्र या नियम को पकड़कर चलना जीवन को सीमित करना है।
1. सूत्र का अर्थ:
- सूत्र का अर्थ है, कोई ऐसा नियम या सिद्धांत जो हर परिस्थिति में लागू हो।
- लेकिन जीवन में ऐसी कोई स्थिति नहीं है जहां एक ही नियम हर समय काम करे।
2. सूत्र क्यों सीमित करते हैं?
- जीवन गतिशील है, जबकि सूत्र स्थिर हैं।
- जब हम किसी सूत्र को पकड़कर चलते हैं, तो हम जीवन के प्रवाह के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।
- इससे जीवन में संघर्ष और भ्रम पैदा होता है।
3. जीवन को समझने के लिए जागरूकता जरूरी है:
- जागरूकता हमें परिस्थिति के अनुसार कार्य करने की क्षमता देती है।
- ओशो कहते हैं, "सूत्रों की जरूरत अज्ञानी को होती है। ज्ञानी के पास केवल जागरूकता होती है।"
3. परिस्थिति का महत्व
ओशो इस बात पर जोर देते हैं कि जीवन की हर परिस्थिति अलग होती है।
1. हर पल नया है:
- कोई भी दो पल एक जैसे नहीं होते।
- हर पल की अपनी चुनौती और अपनी खूबसूरती होती है।
2. परिस्थिति के अनुसार निर्णय:
- यदि हम एक पुराने सूत्र को पकड़कर चलते हैं, तो वह नई परिस्थिति में काम नहीं आएगा।
- जीवन की सफलता इस पर निर्भर करती है कि हम परिस्थिति को समझकर सही निर्णय लें।
3. लचीलापन जरूरी है:
- जीवन में लचीलापन हमें परिस्थिति के अनुसार बदलने की ताकत देता है।
- यह लचीलापन ही सच्ची बुद्धिमत्ता है।
4. नियम, परंपरा और बंधन
हमारी संस्कृति, परंपराएं और शिक्षा हमें सिखाती हैं कि जीवन में कुछ निश्चित नियमों का पालन करना चाहिए।
1. परंपरा का भार:
- हमें बचपन से सिखाया जाता है कि "यह करो" और "यह मत करो।"
- ये परंपराएं हमारे ऊपर बोझ बन जाती हैं और हमें स्वाभाविक रूप से जीने से रोकती हैं।
2. रचनात्मकता का अंत:
- जब हम नियमों से बंधे होते हैं, तो हमारी रचनात्मकता समाप्त हो जाती है।
- हम केवल यांत्रिक तरीके से जीते हैं, जैसे कोई मशीन।
3. स्वतंत्रता का महत्व:
- ओशो कहते हैं, "जीवन को बिना किसी बंधन के जीओ।"
- स्वतंत्रता हमें अपनी राह चुनने और जीवन को गहराई से समझने का अवसर देती है।
5. जागरूकता: सच्चा मार्गदर्शक
ओशो के अनुसार, सूत्रों की जगह जागरूकता लेनी चाहिए।
1. जागरूकता क्या है?
- यह हर पल को पूरी तरह से जीने की कला है।
- यह वर्तमान में उपस्थित रहने का अभ्यास है।
2. जागरूकता का अभ्यास:
- जब तुम जागरूक होते हो, तो हर परिस्थिति में सही निर्णय ले सकते हो।
- जागरूकता तुम्हें सिखाती है कि कोई स्थिर नियम नहीं है। हर पल का अपना उत्तर है।
3. जागरूकता ही सच्ची बुद्धि है:
- बुद्धि का अर्थ है हर पल के अनुसार बदलने की क्षमता।
- यह क्षमता जागरूकता से आती है, न कि पुराने नियमों से।
6. जीवन का उत्सव
ओशो जीवन को एक उत्सव मानते हैं।
1. उत्सव का अर्थ:
- उत्सव का अर्थ है, हर पल को आनंद के साथ जीना।
- यह तभी संभव है, जब हम बंधनों से मुक्त हों।
2. सूत्र उत्सव को रोकते हैं:
- जब हम किसी सूत्र को पकड़ते हैं, तो हमारा ध्यान वर्तमान से हट जाता है।
- हम भविष्य की चिंता या अतीत के बोझ में खो जाते हैं।
3. उत्सव में लय:
- जीवन के प्रवाह के साथ चलने में ही उत्सव की लय है।
- जब हम जीवन को बिना किसी सूत्र के जीते हैं, तब हम उस लय को महसूस कर सकते हैं।
7. निष्कर्ष: जीवन को खुला छोड़ दो
प्रिय आत्मन,
ओशो का यह कथन हमें जीवन की गहराई में उतरने का आमंत्रण देता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन को बंधनों से मुक्त करके ही हम इसे पूरी तरह से जी सकते हैं।
ओशो कहते हैं, "जीवन कोई किताब नहीं है जिसे पढ़ा जा सके। यह एक नदी है, जिसमें तुम्हें कूदना होगा। यह एक नृत्य है, जिसमें तुम्हें शामिल होना होगा।"
सूत्रों को छोड़ दो। जागरूक हो जाओ। जीवन के हर पल को एक नए अनुभव की तरह जियो। यही जीवन की कला है। यही ओशो का संदेश है।
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