जीवन: एक अद्भुत उपहार
प्रिय आत्मन,
जीवन कोई समस्या नहीं है। यह तो एक अद्भुत उपहार है। लेकिन यह बात समझने के लिए गहरी अंतर्दृष्टि चाहिए। साधारण शब्दों में कहूं तो जीवन वैसा है, जैसा तुम इसे देखते हो। यदि तुम इसे एक संघर्ष समझते हो, तो यह संघर्ष बन जाता है। यदि तुम इसे एक वरदान समझते हो, तो यह वरदान बन जाता है।
ओशो कहते हैं, "जीवन वैसा नहीं है, जैसा यह दिखाई देता है। यह वैसा है, जैसा तुम इसे देखना चाहते हो।"
अब सवाल यह है कि जीवन को समस्या के रूप में देखने की प्रवृत्ति हमारे भीतर क्यों आती है? इस पर गहराई से विचार करना होगा। आइए इस प्रवचन को कुछ भागों में विभाजित करते हैं, ताकि हर पहलू को समझा जा सके।
1. जीवन को समस्या क्यों मानते हैं?
हमारे भीतर यह धारणा क्यों है कि जीवन एक समस्या है?
इसका मुख्य कारण हमारा दिमाग है। हमारा दिमाग हमेशा समस्याओं को खोजता है। यह समस्या सुलझाने में कुशल है। लेकिन यही दिमाग एक और भ्रम पैदा करता है—वह जीवन को भी समस्या मान लेता है।
हमारे समाज, शिक्षा और संस्कारों ने हमें यह सिखाया है कि जीवन कठिन है, संघर्ष है। बचपन से ही हमें यह बताया जाता है कि हमें जीवन को "जीतना" है। लेकिन ओशो कहते हैं, "जीवन को जीतना नहीं है। जीवन को केवल समझना है। जीवन को केवल जीना है।"
जब तुम जीवन को एक युद्ध समझते हो, तब हर कदम पर संघर्ष होता है। लेकिन जब तुम इसे एक उत्सव समझते हो, तब हर कदम पर आनंद होता है।
2. जीवन को उपहार के रूप में देखना
ओशो की दृष्टि में जीवन एक अद्भुत उपहार है। उपहार का अर्थ है कुछ ऐसा जो तुम्हें बिना मांगे मिला हो। तुमने इसे अर्जित नहीं किया, फिर भी यह तुम्हारे पास है।
लेकिन उपहार को समझने के लिए तुम्हारे पास एक खुला हृदय चाहिए। जब तक तुम्हारे भीतर अहंकार है, तब तक तुम जीवन को उपहार के रूप में नहीं देख सकते।
अहंकार कहता है, "यह मेरा अधिकार है। मैंने इसे अर्जित किया है।" लेकिन जीवन अहंकार से परे है।
उपहार को स्वीकार करना ही पहला कदम है। ओशो कहते हैं, "जब तुम जीवन को उपहार मानते हो, तब तुम हर चीज़ के लिए आभारी हो जाते हो।" आभार ही वह कुंजी है, जो जीवन को सुंदर बनाती है।
3. समस्या मन में है, जीवन में नहीं
ओशो बार-बार कहते हैं, "समस्या जीवन में नहीं है, समस्या तुम्हारे मन में है।"
मन हमेशा शिकायत करता है। यह कभी संतुष्ट नहीं होता। जब तुम्हारे पास कुछ नहीं होता, तो यह शिकायत करता है। जब तुम्हारे पास सबकुछ होता है, तब भी यह और चाहता है।
मन की यह प्रवृत्ति ही जीवन को समस्या बना देती है। लेकिन ध्यान रखना, जीवन स्वयं में कभी समस्या नहीं है। यह तो हर क्षण एक नया चमत्कार है। समस्या केवल हमारी सोच में है।
4. ध्यान: समस्या से मुक्ति की कुंजी
ओशो ध्यान को जीवन की समस्याओं से मुक्ति का सबसे बड़ा साधन मानते हैं। ध्यान का अर्थ है, मन को शांत करना। जब मन शांत होता है, तो जीवन अपनी असली सुंदरता में प्रकट होता है।
ध्यान हमें सिखाता है कि जीवन को वैसा ही स्वीकार करें, जैसा यह है। यह हमें सिखाता है कि हर चीज को गहराई से देखें, बिना किसी निर्णय के।
ध्यान का अभ्यास कैसे करें?
1. शांत स्थान पर बैठें।
2. अपनी श्वास पर ध्यान दें।
3. हर विचार को बिना रोक-टोक आने दें और जाने दें।
4. केवल उपस्थित रहें।
जब तुम ध्यान करते हो, तब जीवन का असली रूप सामने आता है। तब तुम देखते हो कि यह समस्या नहीं, बल्कि एक वरदान है।
5. जीवन और स्वीकृति
जीवन को समस्या समझने का दूसरा कारण है—हमारी अस्वीकृति। हम जीवन के साथ संघर्ष करते हैं। हम इसे अपने अनुसार बदलना चाहते हैं।
लेकिन ओशो कहते हैं, "जीवन को वैसा ही स्वीकार करो, जैसा यह है। यह तुम्हारे अनुसार बदलने के लिए नहीं है। यह तुम्हें बदलने के लिए है।"
स्वीकृति का अर्थ है, "जो कुछ हो रहा है, उसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करना।" जब तुम जीवन को स्वीकार करते हो, तब जीवन की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
6. जीवन एक उत्सव है
ओशो की दृष्टि में जीवन एक उत्सव है। लेकिन हम इसे पीड़ा बना देते हैं। क्यों? क्योंकि हम इसे पकड़ने की कोशिश करते हैं।
ओशो कहते हैं, "जीवन को पकड़ो मत। इसे बहने दो। इसे अपने आप घटने दो। यह तब सुंदर बनता है, जब तुम इसे अपने स्वभाव में रहने देते हो।"
जब तुम जीवन को एक उत्सव के रूप में देखते हो, तो हर पल आनंद का स्रोत बन जाता है। तब छोटी-छोटी चीज़ें भी तुम्हें खुश करती हैं।
7. वर्तमान में जीना
ओशो कहते हैं, "जीवन केवल वर्तमान में है। यह न अतीत में है, न भविष्य में।"
अतीत केवल यादें हैं। भविष्य केवल कल्पना है। लेकिन हम वर्तमान को छोड़कर हमेशा अतीत या भविष्य में जीते हैं। यही कारण है कि हम जीवन को समस्या मानते हैं।
वर्तमान में जीने का अभ्यास करो। हर पल को गहराई से जियो। यही जीवन का सत्य है।
8. जीवन का अर्थ खोजने की कोशिश मत करो
हम हमेशा जीवन का अर्थ खोजने की कोशिश करते हैं। लेकिन ओशो कहते हैं, "जीवन का कोई अर्थ नहीं है। यह अर्थहीन है। और यही इसकी सुंदरता है।"
जीवन का अर्थ खोजने की कोशिश करना उसे सीमित करना है। इसे बिना किसी अर्थ के स्वीकार करो। इसे ऐसे ही जियो। यही वास्तविक स्वतंत्रता है।
निष्कर्ष: जीवन को उपहार मानो
प्रिय आत्मन, जीवन को समस्या मानना बंद करो। इसे समस्या बनाना तुम्हारी प्रवृत्ति है। इसे समस्या नहीं बनाओ। इसे एक उपहार के रूप में देखो। इसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करो।
ओशो कहते हैं, "जीवन कोई चुनौती नहीं है। यह तो परमात्मा की ओर से दिया गया एक अद्भुत तोहफा है। इसे खोलो, इसका आनंद लो, और इसे पूरी तरह से जियो। यही जीवन का सत्य है। यही जीवन का आनंद है। यही ध्यान है।"
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