"चाहे कितनी ही पीड़ा तुम भोग रहे हो, तुम्हारे ही निर्णय का फल है। और, जिस दिन तुम निर्णय बदलोगे, उसी दिन जीवन बदल जाएगा।" - ओशो

ओशो का यह कथन जीवन के गहरे सत्य को उद्घाटित करता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमारा जीवन हमारे अपने निर्णयों का परिणाम है। चाहे वह सुख हो या दुःख, चाहे वह आनंद हो या पीड़ा, सब कुछ हमारे द्वारा चुने गए रास्तों और विचारों का फल है। ओशो इस कथन के माध्यम से हमें हमारे भीतर की शक्ति, जिम्मेदारी, और परिवर्तन की क्षमता को पहचानने का आह्वान करते हैं। आइए इस पर विस्तार से विचार करें।

1. जीवन: तुम्हारे निर्णयों का प्रतिबिंब

ओशो कहते हैं, "जीवन कोई बाहरी घटना नहीं है। यह तुम्हारे भीतर की दशा है।"

तुम्हारा जीवन वैसा ही है जैसा तुम्हारे निर्णय हैं। यह निर्णय तुम्हारे विचारों, भावनाओं, और कर्मों में प्रकट होता है।

ओशो का संदेश:

"तुम्हारी पीड़ा का कारण बाहर नहीं है। यह तुम्हारे भीतर है। और जब तुम भीतर जाकर इसे समझोगे, तभी तुम इसे बदल सकते हो।"

2. पीड़ा: आत्मज्ञान का द्वार

ओशो के अनुसार, पीड़ा तुम्हें जगाने का माध्यम है।  

जब तक तुम पीड़ा को नहीं समझते, तब तक तुम जीवन के गहरे अर्थ को नहीं जान सकते। पीड़ा तुम्हें यह दिखाने आती है कि कहीं न कहीं तुम्हारे निर्णय गलत हैं।

कहानी:

एक बार एक व्यक्ति ओशो के पास आया और कहा, "मैं बहुत दुःखी हूँ। मेरा जीवन दुखों से भरा है।"

ओशो ने कहा, "तुम्हारे दुःख तुम्हारे ही निर्णय का परिणाम हैं। लेकिन यह अच्छा है कि तुम इस दुःख को देख पा रहे हो। अब तुम इसे बदल सकते हो।"

ओशो का दृष्टिकोण:

"पीड़ा को शत्रु मत समझो। यह तुम्हें तुम्हारे भीतर देखने के लिए प्रेरित करती है। इसे समझो, और इससे पार हो जाओ।"

3. जिम्मेदारी: अपने जीवन के रचनाकार बनो

ओशो कहते हैं, "तुम्हारा जीवन तुम्हारी जिम्मेदारी है। इसे किसी और पर मत डालो।"

हम अक्सर अपनी परेशानियों के लिए दूसरों को दोष देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि हमारा जीवन हमारे अपने निर्णयों का प्रतिबिंब है।

जब तुम यह स्वीकार कर लेते हो कि तुम्हारी स्थिति तुम्हारे ही चुनावों का परिणाम है, तब तुम उसे बदलने की शक्ति पा लेते हो।

ओशो का संदेश:

"जिम्मेदारी स्वीकारना ही स्वतंत्रता की शुरुआत है। जब तुम जिम्मेदारी लेते हो, तभी तुम अपने जीवन को बदल सकते हो।"

4. निर्णय: शक्ति और कमजोरी का स्रोत

ओशो कहते हैं, "हर निर्णय तुम्हें या तो मजबूत बनाता है या कमजोर।"

तुम्हारे निर्णय तुम्हारे विचारों और भावनाओं पर आधारित होते हैं। यदि तुम नकारात्मक सोचते हो, तो तुम्हारे निर्णय भी नकारात्मक होंगे। लेकिन यदि तुम सकारात्मक और जागरूक रहते हो, तो तुम्हारे निर्णय भी तुम्हें सशक्त करेंगे।

ओशो का उदाहरण:

"यदि एक पक्षी अपने घोंसले में बैठा रहे और उड़ने का निर्णय न करे, तो वह कभी उड़ान नहीं भर पाएगा। निर्णय ही उसकी उड़ान का आधार है।"

5. निर्णय बदलना: जीवन बदलने की कुंजी

ओशो के अनुसार, जीवन में परिवर्तन लाने के लिए तुम्हें अपने निर्णय बदलने होंगे।

तुम्हारे पुराने निर्णय तुम्हें यहाँ तक लाए हैं। लेकिन यदि तुम यहाँ खुश नहीं हो, तो तुम्हें नए निर्णय लेने होंगे।

ओशो कहते हैं:

"नया निर्णय लेने का साहस करो। यह डरावना हो सकता है, लेकिन यही तुम्हारे जीवन को बदलने का रास्ता है।"

6. ध्यान: सही निर्णय लेने का माध्यम

ओशो कहते हैं, "ध्यान वह प्रक्रिया है, जो तुम्हें जागरूक बनाती है।"

जब तुम जागरूक होते हो, तो तुम्हारे निर्णय स्पष्ट और सही होते हैं। ध्यान तुम्हें अपने भीतर की गहराई में ले जाता है, जहाँ से सही निर्णय जन्म लेते हैं।

ध्यान की विधि:  

1. शांत स्थान पर बैठो।

2. अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करो।

3. अपने विचारों को देखो, लेकिन उनसे जुड़ो मत।

4. जब तुम अपने भीतर मौन पाते हो, तो तुम्हारे निर्णय स्वाभाविक रूप से सही होते हैं।

7. तुम्हारे निर्णय और कर्म का चक्र

ओशो कहते हैं, "तुम्हारे निर्णय ही तुम्हारे कर्म बनते हैं, और तुम्हारे कर्म तुम्हारे भविष्य को गढ़ते हैं।"

यदि तुम बार-बार वही निर्णय लेते हो, तो तुम उसी चक्र में फँसे रहते हो। लेकिन जब तुम जागरूक होकर नए निर्णय लेते हो, तो तुम उस चक्र से बाहर आ सकते हो।

उदाहरण:

यदि तुम हमेशा नकारात्मक सोचते हो, तो तुम्हारा जीवन भी नकारात्मक होगा। लेकिन यदि तुम सकारात्मक निर्णय लेते हो, तो तुम्हारा जीवन सकारात्मक हो जाएगा।

8. साहस: नया निर्णय लेने की हिम्मत

नए निर्णय लेना आसान नहीं है। इसके लिए साहस चाहिए।

ओशो कहते हैं, "डर को पार करो। नया निर्णय लो। यही जीवन की असली शुरुआत है।"

कहानी:

एक बार एक आदमी ने ओशो से कहा, "मैं नया काम शुरू करना चाहता हूँ, लेकिन मुझे डर है कि मैं असफल हो जाऊँगा।"  

ओशो ने उत्तर दिया, "डर को देखो, लेकिन उससे डरो मत। यदि तुम डर के कारण निर्णय नहीं लेते, तो तुम पहले ही असफल हो चुके हो।"  

9. सही निर्णय कैसे लें?

(a) जागरूकता:

ओशो कहते हैं, "जागरूक बनो। जब तुम जागरूक होते हो, तो तुम्हारे निर्णय सही होते हैं।"

(b) आत्मा की सुनो:

तुम्हारे भीतर एक मौन आवाज है, जो हमेशा सही रास्ता दिखाती है। उसे सुनो।

(c) समाज के दबाव से मुक्त हो:

समाज तुम्हें अपने अनुसार चलाना चाहता है। लेकिन तुम्हें अपने सत्य को खोजना है।

10. निष्कर्ष: निर्णय बदलो, जीवन बदलो

ओशो का यह कथन हमें यह सिखाता है कि हमारा जीवन हमारे ही निर्णयों का परिणाम है। यदि हम अपने निर्णय बदलें, तो हमारा जीवन भी बदल सकता है।

ओशो कहते हैं:

"तुम्हारे पास हर क्षण नया निर्णय लेने की शक्ति है। यह शक्ति तुम्हारे भीतर है। इसे पहचानो, और अपने जीवन को बदल दो।"

जब तुम अपने निर्णयों को जागरूकता, प्रेम, और साहस के साथ बदलते हो, तो तुम अपने जीवन को एक नया अर्थ देते हो। यही ओशो का संदेश है: "तुम्हारे निर्णय ही तुम्हारी नियति हैं। जागो, और अपनी नियति को बदलो।"

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