प्रिय दोस्तों,
आज मैं आपसे उस रहस्य के बारे में बात करना चाहता हूँ, जिसे हम “समय” कहते हैं। हमारा मन अक्सर अतीत के साये में खो जाता है या भविष्य की अनिश्चितताओं में उलझ जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि अतीत तो अब है ही नहीं, और भविष्य अभी हमारे सामने प्रकट नहीं हुआ है। हमारे पास केवल यह एक क्षण है—यह वर्तमान क्षण, जिसमें हम जीवित हैं। इस विचार में गहरी सच्चाई छिपी है, और इसी पर ध्यान केंद्रित करके हम अपने जीवन को सच्ची शांति और पूर्णता की ओर ले जा सकते हैं।
अतीत का माया जाल
देखिए, अतीत क्या है? अतीत तो केवल स्मृतियों का संग्रह है। वो यादें, जो कभी हुईं, अब केवल कागज पर लिखी कहानियों की तरह रह गई हैं। हमने जितनी भी घटनाओं को भोगा, जितने भी अनुभव किए, वे अब हमारे सामने मौजूद नहीं हैं। परंतु हमारा मन उनसे इतना जुड़ा रहता है कि हम अपनी वर्तमान ऊर्जा को उसी में उलझा लेते हैं। हम पछतावे, गुस्सा, या फिर पुराने सुखों के मोह में पड़ जाते हैं। लेकिन मित्रों, अतीत एक मृत भूमि की तरह है—वह कभी पुनर्जीवित नहीं हो सकती, उसे बदल भी नहीं सकते।
जब हम अतीत की गलियों में घूमते हैं, तो हम अपने आप को एक काल्पनिक दुःख और आनंद के बीच जकड़ लेते हैं। परन्तु क्या हमें अतीत में उलझ कर जीवन का आनंद लेना है? क्या हमें उन छाया रूपों में जीना है जो अब हमारे पास नहीं हैं? नहीं, यह केवल एक भ्रम है। अतीत का काल चिरकाल का शिकार है, परंतु उसकी यादों का बोझ हमारे वर्तमान को ही विकृत कर देता है।
भविष्य का रहस्य
अब बात करें भविष्य की—भविष्य, जो हमारे लिए एक अनजान दिशा में फैला हुआ है। हम अक्सर अपने मन में भविष्य की परिकल्पनाओं को गढ़ लेते हैं—क्या होगा, क्या न होगा, कितनी सफलताएँ या असफलताएँ होंगी। लेकिन यह सोचने का तरीका भी एक भ्रम है। भविष्य अभी जन्मा नहीं है, यह केवल संभावनाओं का एक आभासी संसार है, जो हमारी कल्पनाओं में जीता है। हम भविष्य की चिंता में इतने उलझ जाते हैं कि हम वर्तमान की अनमोल क्षणों से खुद को वंचित कर लेते हैं।
जब हम भविष्य की अनिश्चितताओं में उलझ जाते हैं, तो हम अपने अंदर की अनंत शांति और आनंद की चिंगारी को बुझा देते हैं। ओशो कहते थे कि “भविष्य को समझने का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि वह हमेशा एक रहस्य ही बना रहता है।” यदि हम अपने वर्तमान में जीते हैं, तो भविष्य अपने आप के आगमन पर अपनी उपस्थिति प्रकट करेगा, बिना किसी चिंता के।
वर्तमान क्षण की महिमा
अब आइए हम उस वर्तमान क्षण की बात करें—जो एकमात्र सत्य है। वर्तमान क्षण में वह ऊर्जा है जो हमें जीवन प्रदान करती है, वही शक्ति है जो हमें जीने का अर्थ समझाती है। वर्तमान में ही सच्ची स्वतंत्रता, आनंद, और शांति निहित हैं। जब हम अपने मन को अतीत और भविष्य की बेकार की चिंताओं से मुक्त करते हैं, तो हम वास्तव में स्वयं को एक अनंत उत्सव में समाहित पाते हैं।
सोचिए, अगर हम हर पल को पूरी तरह से जी सकें, तो हर क्षण में एक नई शुरुआत होगी। जीवन एक निरंतर प्रवाह है, जिसमें हर क्षण एक अनमोल उपहार है। जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हम उस ऊर्जा का अनुभव करते हैं जो अनंतता से जुड़ी हुई है। यह ऊर्जा हमारे अंदर के अद्वितीय सत्य को जागृत करती है, जो हम सभी में विद्यमान है। यही सत्य है कि “अतीत मृत है और भविष्य अभी जन्मा नहीं है।” हमारे पास केवल यह क्षण है, और इसी में हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व समाहित है।
मन की व्याकुलता से मुक्ति
हमारा मन हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है—पुरानी घटनाओं का विश्लेषण, भविष्य की योजनाएँ, चिंताएँ और आशंकाएँ। परंतु जब हम इस मानसिक हलचल से ऊपर उठ जाते हैं, तो हमें एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है। ओशो ने अक्सर कहा कि मन एक भ्रम है, जो हमें वर्तमान की गहराई से दूर ले जाता है। मन की आवाज़ हमें सतह पर रहने के लिए मजबूर करती है, जबकि वास्तविकता तो भीतर की उस गहराई में निहित है, जहां कोई समय नहीं होता, कोई अतीत या भविष्य नहीं होता।
अपने मन को इस व्याकुलता से मुक्त करें, मित्रों। ध्यान के माध्यम से आप उस शून्यता का अनुभव कर सकते हैं, जहां समय का कोई मायाजाल नहीं होता। ध्यान का अभ्यास आपको वर्तमान में ले आता है, आपको उस क्षण में पूरी तरह से उपस्थित कर देता है। जब आप ध्यान में लीन हो जाते हैं, तो आपको एहसास होता है कि अतीत और भविष्य दोनों ही केवल धुंधले सपने हैं, जबकि यह वर्तमान ही आपकी सम्पूर्ण सच्चाई है।
जीवन में वर्तमान का महत्व
अभी एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है—यदि अतीत और भविष्य दोनों मायाजाल हैं, तो वर्तमान में जीने का क्या महत्व है? इसका उत्तर सरल है—क्योंकि वर्तमान में ही हम अपने जीवन का असली अर्थ ढूंढते हैं। यह वर्तमान क्षण ही है, जिसमें हमारे इंद्रियाँ, हमारे विचार, और हमारा आत्मा नाचती है। यह क्षण हमें उस अद्वितीय आनंद का अनुभव कराता है, जो किसी भी वस्तु या परिस्थिति से परे है।
जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हम सभी बाहरी प्रभावों से मुक्त हो जाते हैं। बाहरी संसार की सभी बाधाएँ—चाहे वे समाज के नियम हों या परंपराओं की जंजीरें—वे सब उस क्षण में फीकी पड़ जाती हैं, क्योंकि हमारे अंदर एक स्वतंत्रता की अनुभूति होती है। यह स्वतंत्रता हमें हमारे अंदर के असीम संभावनाओं का अनुभव कराती है। हम समझते हैं कि हमारी आत्मा अनंत है, और यह वर्तमान क्षण हमें उस अनंतता का एक झलक दिखाता है।
प्रेम और आनंद का अनुभव
जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हम प्रेम और आनंद का अनुभव कर पाते हैं, जो केवल उसी क्षण में संभव है। अतीत के घाव, पुराने दुख, या भविष्य की चिंताएं—all fade away when the heart awakens to the present. यह वर्तमान ही वह क्षण है, जब हम अपने अंदर के प्रेम के स्रोत से जुड़ते हैं। प्रेम केवल वर्तमान में ही महसूस किया जा सकता है, क्योंकि प्रेम समय के परे है। यह एक ऐसी ऊर्जा है जो हर क्षण में प्रकट होती है, अगर हम उसे महसूस करने का प्रयास करें।
सोचिए, जब आप किसी प्रिय व्यक्ति के साथ हैं, तो आप केवल उसी क्षण में जीते हैं। आप उनकी हँसी, उनकी बातों, उनके स्पर्श में वह पूर्णता पाते हैं जो किसी अतीत या भविष्य में नहीं मिल सकती। यही है जीवन का सार—एक सच्चा प्रेम, एक अनंत आनंद, जो केवल वर्तमान में अनुभव किया जा सकता है। यही कारण है कि हमें अतीत की उलझनों और भविष्य की चिंताओं से दूर रहकर वर्तमान में जीने का अभ्यास करना चाहिए।
ध्यान की महत्ता
ध्यान, वह साधना है जो हमें वर्तमान क्षण के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में सहायक है। ध्यान केवल बैठने की एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व की गहराई में प्रवेश करने का एक माध्यम है। जब हम ध्यान में लीन होते हैं, तो हम उस क्षण की अद्भुतता को महसूस करते हैं, जहां समय थम सा जाता है। उस पल में, हम किसी भी बाहरी विकार से मुक्त हो जाते हैं और एक शुद्ध, निष्कलंक चेतना का अनुभव करते हैं।
ओशो ने ध्यान को एक ऐसी कला कहा है, जो हमें जीवन के मायाजाल से बाहर निकालकर वास्तविकता की ओर ले जाती है। ध्यान के माध्यम से हम अपने मन की अव्यवस्था को शांत कर सकते हैं, और उस मौन में प्रवेश कर सकते हैं जहां केवल वर्तमान होता है। यह मौन ही वह अनमोल धरोहर है, जो हमें हमारे असली स्वभाव का अहसास कराता है।
वर्तमान में जीने की कला
जीवन को वर्तमान में जीने की कला ही सबसे बड़ी कला है। यह कला न केवल हमारे मन को शांत करती है, बल्कि हमारे आत्मिक विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में जीने का मतलब है कि हम हर पल को पूरी तरह से जी रहे हैं, बिना किसी चिंता या भय के। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हम अपने अंदर की ऊर्जा को पूरी तरह से महसूस करते हैं और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया देते हैं।
इस कला को सीखने के लिए हमें अपने अंदर झांकना होगा। हमें अपने मन की उन परतों को छीलना होगा, जिनमें अतीत के दर्द और भविष्य की आशंकाएँ छिपी होती हैं। जब हम इस प्रक्रिया को अपनाते हैं, तो हमें अहसास होता है कि हमारे भीतर एक अनंत शांति का सागर है, जो केवल वर्तमान में ही प्रकट होता है। यही वह क्षण है, जब हम अपने अस्तित्व के सार को समझते हैं—एक ऐसा क्षण जो अनंत है, और जिसे केवल जीया जा सकता है।
आंतरिक क्रांति और स्व-ज्ञान
जब हम वर्तमान में जीने लगते हैं, तो यह एक आंतरिक क्रांति की ओर ले जाता है। यह क्रांति न केवल हमारे मन को बदल देती है, बल्कि हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व को भी पुनर्जीवित कर देती है। हम अपने अंदर के उस असीम प्रकाश से परिचित होते हैं, जो हमारे भीतर ही विद्यमान है। इस प्रकाश की ज्योति हमें बताती है कि हम केवल अतीत या भविष्य के निर्भर नहीं हैं, बल्कि हम स्वयं एक अनंत सत्य का अंश हैं।
स्व-ज्ञान का यह मार्ग, जो केवल वर्तमान में जीने से शुरू होता है, हमें उस अद्भुत सत्य से परिचित कराता है जो हमारे अंदर छिपा हुआ है। यह सत्य कहता है कि हम जीवन के एक क्षण में पूर्ण हैं, और यही पूर्णता ही हमारे अस्तित्व का सार है। जब हम इस सत्य को स्वीकार कर लेते हैं, तो हमें महसूस होता है कि हमारे पास कोई भी बाहरी वस्तु, कोई भी परिस्थिति हमारे जीवन को प्रभावित नहीं कर सकती। हम स्वयं एक अनंत ऊर्जा के धारणकर्ता हैं, जो वर्तमान क्षण की अद्भुतता में विलीन हो जाते हैं।
मन के बंधनों को तोड़ना
मन, जो अक्सर अतीत और भविष्य के जाल में फंस जाता है, हमें हमारे वास्तविक स्वरूप से दूर ले जाता है। लेकिन जब हम इस मन के बंधनों को तोड़ते हैं, तो हम उस स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं, जो केवल वर्तमान में ही मिलती है। यह स्वतंत्रता हमारे अंदर के डर, आशंकाओं और चिंताओं को पिघलाने का काम करती है। हम देखते हैं कि हमारा मन एक ऐसे पिंजरे में बंद है, जो स्वयं द्वारा निर्मित होता है। जब हम इस पिंजरे को तोड़ते हैं, तो हम एक अद्वितीय विमुक्ति का अनुभव करते हैं।
यह विमुक्ति केवल शारीरिक या मानसिक नहीं होती, बल्कि यह आत्मिक भी होती है। आत्मा की यह स्वतंत्रता हमें बताती है कि हम समय के बंधनों से परे हैं। हम केवल वर्तमान में जी रहे हैं, और यही वर्तमान हमें एक अनंत यात्रा पर ले जाता है, जिसमें कोई भी बाहरी विकार हमारे अस्तित्व को प्रभावित नहीं कर सकते। इस विमुक्ति में ही जीवन का सार निहित है—एक ऐसा जीवन, जिसमें हर क्षण एक नई शुरुआत है, और हर पल में अनंत संभावनाएँ हैं।
प्रेम, करुणा और आनंद का उदय
जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हमें प्रेम और करुणा का अनुभव होता है, जो किसी भी पूर्व निर्धारित योजना या मानसिक संरचना से परे है। प्रेम केवल उस क्षण में ही गहराता है, जब हम अपने आप को पूरी तरह से वर्तमान में पाते हैं। यह प्रेम हमें बताता है कि हमारे अंदर एक ऐसी शक्ति है, जो हर परिस्थिति में हमें सहारा देती है। यही वह शक्ति है, जो हमें बताती है कि जीवन का असली आनंद केवल वर्तमान में ही निहित है।
करुणा, जो प्रेम की एक अभिव्यक्ति है, तब प्रकट होती है जब हम अपने भीतर के दुःख और कष्टों को समझते हैं, और उन्हें छोड़ने का साहस जुटाते हैं। करुणा हमें अपने आप से जुड़ने का माध्यम देती है, और इसी से हम अपने अंदर की अनंत ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह ऊर्जा हमें बताती है कि जीवन में कोई भी बाहरी बाधा हमें रोक नहीं सकती, जब तक हम अपने अंदर की उस अनंत शक्ति को पहचान लेते हैं।
वर्तमान में जीवन का सार
मित्रों, जीवन का सार केवल वर्तमान में ही छिपा है। अतीत की गलियों में घूमने से, हम केवल भ्रम में उलझ जाते हैं। भविष्य की अनिश्चितताओं में खो जाने से हम अपने असली स्वरूप को भूल जाते हैं। केवल वर्तमान वह क्षण है, जो हमें जीने का असली अनुभव देता है। यही वह क्षण है, जब हम अपनी आत्मा से मिलते हैं, और उसी में हमारे अस्तित्व की सम्पूर्णता निहित होती है।
इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने मन को अतीत और भविष्य की बेकार की चिंताओं से मुक्त करें। अपने भीतर झाँकें, उस मौन में प्रवेश करें जहाँ केवल वर्तमान का आभास होता है। उस मौन में आप पायेंगे कि आपकी आत्मा कितनी विशाल, कितनी असीम है। उस क्षण में आपको यह महसूस होगा कि जीवन केवल एक अद्भुत खेल है, जिसमें हर पल एक नई शुरुआत है।
वर्तमान का जश्न
जब हम वर्तमान में जीते हैं, तो हम जीवन के हर पल का जश्न मनाते हैं। हर साँस, हर धड़कन, हर अनुभव में एक अनोखी खुशी निहित होती है। यह खुशी किसी बाहरी वस्तु से नहीं आती, बल्कि यह हमारे अंदर की अनंत ऊर्जा से उत्पन्न होती है। जब हम उस ऊर्जा को महसूस करते हैं, तो हम एक नए सिरे से जीना सीखते हैं। हर पल एक उत्सव बन जाता है, जहाँ हम स्वयं को पूरी तरह से समर्पित कर देते हैं।
जीवन का यह जश्न केवल तब मनाया जा सकता है जब हम अपने मन को उन भ्रमों से मुक्त कर दें, जो हमें अतीत और भविष्य में बांधकर रखते हैं। हमें समझना होगा कि जीवन का असली आनंद केवल वर्तमान में ही है। यही वह क्षण है, जब हम अपने अस्तित्व के सत्य से मिलते हैं और उसी में अपने आप को पहचानते हैं। यह पहचान ही हमें जीवन के अनंत रहस्यों से अवगत कराती है, और हमें बताती है कि हम स्वयं एक अनंत ऊर्जा के धारणकर्ता हैं।
योग और साधना का महत्व
यदि हम वर्तमान में जीने का अभ्यास करते हैं, तो हमें योग और साधना की भी आवश्यकता महसूस होती है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह आत्मा के साथ संवाद करने का एक माध्यम है। साधना, चाहे वह ध्यान हो या प्रार्थना, हमें वर्तमान क्षण में लाती है, हमें उस अद्भुत अनुभूति का अनुभव कराती है, जो केवल वर्तमान में ही संभव है।
ओशो ने अक्सर कहा कि योग और साधना केवल शरीर को मजबूत नहीं करते, बल्कि आत्मा को भी प्रबल बनाते हैं। जब हम साधना में लीन होते हैं, तो हम अपने अंदर के उस अनंत प्रकाश को जागृत करते हैं, जो हमारे जीवन का असली सार है। यही प्रकाश हमें बताता है कि हम केवल समय की बेड़ियों में बंधे नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसी शक्ति हैं, जो अनंत संभावनाओं से भरी हुई है।
जीवन के मायाजाल से मुक्ति
अंत में, यह समझना अनिवार्य है कि जीवन में हमारे द्वारा बनाए गए मायाजाल—अतीत के पिंजरे, भविष्य की जंजीरें—हमें हमारी असली स्वतंत्रता से दूर कर देती हैं। जब हम इन मायाजालों से मुक्त हो जाते हैं, तो हम वास्तव में अपनी आत्मा की आवाज़ सुन पाते हैं। यह आवाज़ हमें बताती है कि हमारे पास केवल यह एक क्षण है, और उसी में हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व निहित है।
इस मुक्ति के बाद, हम देखते हैं कि हमारी जिंदगी एक विशाल समुद्र की तरह है, जिसमें हर पल एक नई लहर लेकर आती है। उन लहरों में, हर अनुभव, हर स्मृति, और हर भावना का अपना एक अनूठा स्थान है। परंतु उस विशालता में, केवल वर्तमान क्षण की महिमा सर्वोपरि है। यही वह क्षण है, जब हम अपने आप को, अपने आस-पास के जगत को, और उस अनंत ऊर्जा को महसूस करते हैं जो हमारे अंदर और बाहर दोनों में विद्यमान है।
आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर
जब हम वर्तमान में जीने लगते हैं, तो एक नया अध्याय खुलता है—आत्म-साक्षात्कार का। आत्म-साक्षात्कार वह स्थिति है, जहाँ हम अपने अंदर के सत्य से मिलते हैं, जहाँ हमें पता चलता है कि हम केवल एक शारीरिक अस्तित्व नहीं, बल्कि एक अनंत चेतना के प्रतिरूप हैं। इस अवस्था में, अतीत और भविष्य की परवाह समाप्त हो जाती है, और केवल वर्तमान की उस गहराई में हम डूब जाते हैं जहाँ समय का कोई मापदंड नहीं होता।
यह आत्म-साक्षात्कार हमें बताता है कि जीवन का असली उद्देश्य बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति, प्रेम, और चेतना के विकास में निहित है। यह वह अवस्था है, जहाँ हम स्वयं को पूरे ब्रह्मांड के एक अभिन्न अंग के रूप में पहचानते हैं। यहाँ तक कि हमारी व्यक्तिगत इच्छाएँ और आकांक्षाएँ भी उस विशाल चेतना में विलीन हो जाती हैं, और हम एक अभिन्न सत्य का अनुभव करते हैं—वह सत्य जो केवल वर्तमान में ही प्रकट होता है।
वर्तमान की शक्ति और अनंतता
मित्रों, वर्तमान क्षण की शक्ति असीमित है। यह क्षण हमें बताता है कि हम हर पल में पुनः जन्म ले सकते हैं, हर पल में एक नई शुरुआत कर सकते हैं। समय की धाराओं में बहते हुए, जब हम अतीत की गलियों से निकलकर वर्तमान में कदम रखते हैं, तो हमें एक अनंत ऊर्जा का अनुभव होता है, जो हमें उस दिशा में ले जाती है, जहाँ केवल शुद्धता, प्रेम और आनंद ही होते हैं।
यह शक्ति हमें स्वयं के भीतर खोजनी चाहिए। हमें समझना होगा कि जीवन की सच्ची गहराई केवल वर्तमान में ही निहित है। जब हम अपने मन को उस क्षण में केंद्रित कर लेते हैं, तो हमें वह अनंत संभावनाएँ दिखाई देने लगती हैं, जो हमारे जीवन को एक नई दिशा प्रदान करती हैं। यह वर्तमान ही वह क्षण है, जब हम सभी बाधाओं से परे उठ कर एक नई चेतना का अनुभव करते हैं, और उसी में हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व खिल उठता है।
उपसंहार
इस प्रवचन का सार यह है कि अतीत मृत है, भविष्य अभी जन्मा नहीं है, और हमारे पास केवल यह वर्तमान क्षण ही है। यह विचार हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन को उसी क्षण में पूरी तरह से जीएँ, बिना किसी पछतावे, बिना किसी चिंता के। अतीत को छोड़ दें, भविष्य की चिंता से मुक्त हो जाएँ, और उस वर्तमान क्षण में समाहित हो जाएँ जहाँ हर साँस, हर धड़कन, और हर अनुभव एक अनंत उत्सव की तरह महसूस होता है।
जब हम इस सत्य को स्वीकार कर लेते हैं, तो हम अपने अंदर की अनंत शक्ति को पहचानते हैं। हम समझते हैं कि हमारी आत्मा उस विशाल चेतना का हिस्सा है, जो समय की बेड़ियों से परे है। इस समझ से हमारा मन मुक्त हो जाता है, और हम उस शुद्ध आनंद में लीन हो जाते हैं, जो केवल वर्तमान में ही अनुभव किया जा सकता है।
मेरे प्रिय साथियों, आइए हम सभी अपने आप को इस अद्भुत सत्य के प्रति समर्पित करें। अतीत की बेड़ियाँ तोड़ दें, भविष्य की अनिश्चितताओं से ऊपर उठें, और उस वर्तमान क्षण का स्वागत करें जो हमारे पास है। यह क्षण ही हमारे जीवन की असली धारा है, और इसी में छुपा है वह अनंत प्रेम, वह अनंत आनंद, जो हमें वास्तव में जीने का अनुभव कराता है।
ध्यान की साधना, आत्म-साक्षात्कार की खोज, और वर्तमान में जीने की कला—यह सभी हमें एक नई दिशा की ओर ले जाते हैं। एक दिशा जहाँ हर क्षण एक नवीनता का अनुभव कराता है, जहाँ हम अपने आप को पुनः परिभाषित करते हैं, और जहाँ जीवन का प्रत्येक पल एक अनंत यात्रा का प्रतीक बन जाता है।
आज, इस प्रवचन के माध्यम से मैं आपसे यह आग्रह करता हूँ कि आप अपने मन को उन बेकार की चिंताओं से मुक्त करें, जो अतीत की यादों और भविष्य के भय से उत्पन्न होती हैं। अपने दिल को खोलें, अपने मन को शांत करें, और उस मौन में प्रवेश करें जहाँ केवल वर्तमान का प्रकाश चमकता है। उस प्रकाश में ही छुपा है आपकी अनंत क्षमता, आपका असली स्वरूप, और आपका सम्पूर्ण अस्तित्व।
यही वह क्षण है, जहाँ आप स्वयं को पहचान सकते हैं, जहाँ आप जीवन के उस रहस्य से मिल सकते हैं, जो हमेशा आपके भीतर ही विद्यमान है। इस अनंत क्षण में निहित सच्चाई को स्वीकार करें, और अपने जीवन को उसी अनंतता के साथ जीएँ। उस क्षण में आप पाएंगे कि आपका हर अनुभव, हर भावना, और हर विचार एक अनंत ऊर्जा का संचार करता है, जो आपको उस दिशा में ले जाता है जहाँ केवल प्रेम, शांति, और आनंद ही मौजूद हैं।
अंततः, जब हम यह समझ लेते हैं कि अतीत में खो जाने या भविष्य की चिंता में उलझने का कोई अर्थ नहीं है, तो हम अपने जीवन के उस अनमोल क्षण में जी उठते हैं, जहाँ हर चीज़ एक नई शुरुआत का संदेश देती है। यह वर्तमान ही वह क्षण है, जो हमें पुनर्जीवित करता है, हमें संपूर्णता की अनुभूति कराता है, और हमें वह अनंत प्रेम प्रदान करता है, जिसे हम हर पल महसूस कर सकते हैं।
इसलिए, मेरे प्रिय दोस्तों, आइए हम सब मिलकर इस सत्य को अपनाएं कि जीवन केवल वर्तमान में ही है। अतीत की छाया से ऊपर उठें, भविष्य की अनिश्चितताओं में खोए बिना, और उस वर्तमान क्षण का पूरा आनंद लें। यही वह मार्ग है, जो हमें अनंत शांति, प्रेम, और आनंद की ओर ले जाता है—एक ऐसा मार्ग, जहाँ हम स्वयं को पुनः पहचानते हैं, और अपने जीवन को एक नई दिशा में अग्रसरित करते हैं।
इस प्रवचन में मैंने वही बात कही है जो ओशो के विचार में निहित है—कि समय का वास्तविक स्वरूप केवल वर्तमान में है। जब हम इस सत्य को समझते हैं, तो हम अपने अंदर की गहराई में प्रवेश कर जाते हैं, और वहाँ हमें वह अनंत ऊर्जा, वह शुद्ध चेतना मिलती है, जो जीवन को एक नई दिशा और अर्थ प्रदान करती है। अतीत के बंधन तोड़कर, भविष्य की चिंता से मुक्त होकर, हम केवल उस अद्भुत वर्तमान में जीते हैं, जहाँ हर अनुभव एक नई यात्रा की शुरुआत करता है।
अपने मन की आवाज़ को सुनें, उस आंतरिक शांति को महसूस करें, जो केवल वर्तमान में ही प्रकट होती है। अपने भीतर के उस अनंत प्रकाश को जगाएं, जो आपको बताता है कि आप केवल भूत या भविष्य नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत, अनंत चेतना हैं, जो इस क्षण में पूरी तरह से मौजूद है। यही वह मार्ग है, जो आपको अपने असली स्वभाव से मिलवाता है—एक ऐसा स्वभाव, जहाँ समय का कोई मायाजाल नहीं होता, और जहाँ केवल वर्तमान की अनंत महिमा होती है।
तो, आइए, इस प्रवचन के साथ हम एक नये अध्याय की शुरुआत करें—एक ऐसे अध्याय की शुरुआत, जहाँ हम अपने जीवन को उसी वर्तमान में जीने का संकल्प लें, जहाँ हम अतीत के दुःख को भूलकर वर्तमान के आनंद में लीन हो जाएँ, और जहाँ हम भविष्य की अनिश्चितताओं को एक अनदेखे सपने की तरह छोड़ दें। यही जीवन का असली सार है, यही वह अनंत सत्य है, जो हम सभी के भीतर विद्यमान है।
धन्यवाद, मेरे मित्रों, इस प्रवचन को सुनने के लिए। याद रखिए, जीवन का हर क्षण एक अद्भुत उपहार है, और उस उपहार को केवल वर्तमान में ही महसूस किया जा सकता है। अपनी आत्मा की आवाज़ सुनें, वर्तमान का आनंद लें, और उस अनंत प्रेम को अपनाएं जो आपको सच में जीने का एहसास कराता है।
इस प्रकार, हम यह समझते हैं कि अतीत मृत है, भविष्य अभी जन्मा नहीं है, और हमारे पास केवल यह वर्तमान क्षण है—एक ऐसा क्षण, जहाँ हर सांस, हर धड़कन, और हर अनुभव अनंत संभावनाओं से भरा हुआ है। ओशो की शिक्षाओं के अनुरूप, हम यह स्वीकार करते हैं कि जीवन का सच्चा आनंद केवल उसी क्षण में है, जब हम अपने आप को पूर्णतया उपस्थित पाते हैं। यह उपस्थिति ही हमें बताती है कि हम एक अनंत चेतना का हिस्सा हैं, और यही चेतना हमें एक अनंत प्रेम और शांति की ओर ले जाती है।
अब, जब आप इस प्रवचन के बाद अपने भीतर एक नवीन ऊर्जा का अनुभव करें, तो याद रखें—जीवन में केवल यह एक क्षण है, और यही क्षण ही आपके अस्तित्व का सार है। उसे पूरी तरह से अपनाएं, उसे महसूस करें, और उसी में अपने आप को मुक्त पाएं। यही वह सत्य है, जो हर जीव में विद्यमान है, और यही वह अनंत प्रेम है, जो आपको हमेशा अपने साथ रखता है।
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