अंदर चलने वाली सांसे तक तुम्हारी नहीं है तो फिर बाहर के दुःख को अपना माने क्यों बैठे हो - ओशो
ओशो के इस कथन में गहरी आध्यात्मिक सच्चाई छिपी है। यह कथन हमें हमारे अस्तित्व के मूल को समझने का अवसर देता है, जो भौतिकता से परे है। जीवन की वास्तविकता, हमारे अनुभव, और हम जिन विचारों और भावनाओं से बंधे होते हैं, उन सभी का विश्लेषण इस कथन में निहित है। ओशो हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि जीवन में अधिकांश दुख और क्लेश इसलिए होते हैं क्योंकि हम उन चीजों को अपना मान लेते हैं जो वास्तव में हमारी नहीं हैं।
1. सांसें: जीवन का आधार
सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि सांसें क्या हैं और उनके माध्यम से जीवन का अनुभव कैसे होता है। सांसें हमारे जीवन का आधार हैं, लेकिन यह भी सच है कि हम इन सांसों पर कोई नियंत्रण नहीं रखते। सांसें स्वतः चलती हैं, बिना किसी प्रयास के।
ओशो इस कथन के माध्यम से यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जो चीजें हम नियंत्रित नहीं कर सकते, उन्हें अपना मान लेना एक भ्रम है। जब सांसें, जो हमारे जीवन का मूलभूत आधार हैं, हमारी नहीं हैं, तो फिर बाहरी दुनिया के सुख-दुःख, संबंध, और घटनाओं को अपना मान लेना हमारी अज्ञानता का प्रतीक है।
उदाहरण:
जब हम किसी प्रियजन को खो देते हैं, तो हम उस दुःख को बहुत गहराई से महसूस करते हैं, मानो वह हमारा हिस्सा हो। लेकिन अगर हम ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि वह व्यक्ति, उसकी भावनाएं, और हमारा उनसे संबंध, सब अस्थायी हैं। जैसे सांसें आती और जाती हैं, वैसे ही यह दुःख भी आता और चला जाता है।
2. अहंकार और माया: भ्रम की जड़
ओशो के अनुसार, जीवन में सबसे बड़ी बाधा अहंकार और माया का भ्रम है। हम अपने अहंकार के कारण हर चीज को अपना मानने लगते हैं, चाहे वह चीजें हों, लोग हों, या भावनाएं हों। अहंकार हमें बांधता है और हमें चीजों से जोड़ता है, जो वास्तव में हमारी नहीं हैं।
अहंकार का यह बंधन हमें बाहरी दुनिया के दुःख में उलझा देता है। हम चीजों को अपना मान लेते हैं और जब वे हमसे दूर हो जाती हैं, तो हमें दुःख होता है। लेकिन सच यह है कि यह सब माया का खेल है, जो हमें भ्रमित करता है और असलियत से दूर ले जाता है।
उदाहरण:
एक व्यक्ति अपने धन, संपत्ति और सामाजिक स्थिति से बहुत जुड़ा हुआ है। जब वह सब कुछ खो देता है, तो उसे लगता है कि उसका जीवन बर्बाद हो गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह सब उसका कभी था ही नहीं, वह केवल उन चीजों से जुड़ा हुआ था, जो अस्थायी थीं।
3. सच्चाई को स्वीकार करना: निरंतरता और परिवर्तन
जीवन की एकमात्र स्थायी सच्चाई यह है कि सब कुछ बदलता रहता है। सांसें भी आती-जाती रहती हैं, और उसी प्रकार जीवन के सभी अनुभव भी अस्थायी हैं। जब हम यह सच्चाई समझ लेते हैं, तो हमें यह भी समझ में आ जाता है कि बाहरी दुनिया के दुःख भी अस्थायी हैं।
ओशो का यह कथन हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि जो चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, उन्हें अपनाने का कोई अर्थ नहीं है। जब सांसें भी हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, तो फिर बाहरी चीजें कैसे हमारी हो सकती हैं?
उदाहरण:
एक व्यक्ति जो जीवन में स्थायी सुख की खोज करता है, वह हमेशा असफल रहता है क्योंकि वह स्थायित्व की खोज कर रहा है, जबकि जीवन का स्वभाव ही परिवर्तनशील है। यह समझने पर ही हम असल में शांतिपूर्ण और मुक्त हो सकते हैं।
4. दुःख से मुक्ति का मार्ग: बोध और जागरूकता
ओशो के इस कथन का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि हमें बोध और जागरूकता की आवश्यकता है। जब हम जागरूक हो जाते हैं कि सांसें भी हमारी नहीं हैं, तो हमें यह भी समझ में आ जाता है कि बाहरी दुनिया के दुःख और क्लेश भी हमारे नहीं हैं। यह जागरूकता हमें आंतरिक शांति की ओर ले जाती है।
ध्यान और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से हम इस जागरूकता को प्राप्त कर सकते हैं। जब हम यह देख पाते हैं कि हमारा असली स्वभाव क्या है, तो हम अहंकार और माया के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।
उदाहरण:
एक ध्यान साधक, जो नियमित रूप से ध्यान करता है, वह धीरे-धीरे इस सच्चाई को समझने लगता है कि वह अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों से अलग है। यह समझ उसे दुःख और क्लेश से मुक्त करती है, क्योंकि वह अब उन्हें अपना नहीं मानता।
5. स्वयं को जानो: असली आजादी का मार्ग
ओशो का संदेश हमेशा यह रहा है कि "स्वयं को जानो"। जब हम अपने भीतर झांकते हैं और अपने असली स्वभाव को समझते हैं, तो हमें यह साक्षात्कार होता है कि हम केवल साक्षी हैं, जो संसार की घटनाओं को देख रहे हैं। सांसें भी चल रही हैं, लेकिन हम उन्हें चला नहीं रहे; वे स्वतः ही चल रही हैं।
यह आत्मज्ञान हमें समझाता है कि दुख, सुख, प्रेम, घृणा, सभी केवल अनुभव हैं, जो आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन जो स्थायी है, वह हमारा साक्षीभाव है।
उदाहरण:
जब कोई व्यक्ति आत्मज्ञान की स्थिति में पहुँचता है, तो उसे संसार के किसी भी अनुभव से जुड़ाव नहीं होता। वह हर चीज को उसकी वास्तविकता के रूप में देखता है, और इसलिए उसे किसी भी परिस्थिति में दुःख नहीं होता।
6. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: जीवन का नया दृष्टिकोण
ओशो के इस कथन में छिपा आध्यात्मिक दृष्टिकोण यह है कि हमें जीवन को एक नई दृष्टि से देखना चाहिए। सांसें भी हमारी नहीं हैं, तो फिर हम क्यों बाहरी चीजों के पीछे भागें? जीवन का उद्देश्य यह नहीं है कि हम बाहर की चीजों को अपना मानें, बल्कि यह है कि हम अपने भीतर के शांति, आनंद और सत्य को जानें।
यह दृष्टिकोण हमें जीवन को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की शक्ति देता है। जब हम सांसों को भी अपना नहीं मानते, तो हम बाहरी चीजों से कैसे जुड़ सकते हैं? यह जागरूकता हमें एक नई स्वतंत्रता प्रदान करती है।
उदाहरण:
एक साधक जो अपनी सांसों को अपनी नहीं मानता, वह जीवन के हर अनुभव को सहजता से स्वीकार करता है। वह किसी भी परिस्थिति में उलझता नहीं, क्योंकि उसे पता है कि सब कुछ अस्थायी है।
7. दुःख से परे: वास्तविक मुक्ति
ओशो के इस कथन का अंतिम संदेश यह है कि जब हम सांसों को भी अपनी नहीं मानते, तो हम जीवन के सभी दुःखों से मुक्त हो जाते हैं। यह वास्तविक मुक्ति है, जहाँ हम किसी भी परिस्थिति में दुखी नहीं होते, क्योंकि हम अब किसी भी चीज को अपना नहीं मानते।
यह मुक्ति हमें जीवन के हर पल को आनंद और शांति से जीने का अवसर देती है। अब हम जीवन को एक खेल की तरह देखते हैं, जहाँ हम केवल साक्षी हैं, खिलाड़ी नहीं।
उदाहरण:
एक मुक्त व्यक्ति, जिसे सांसों का ज्ञान हो गया है, वह जीवन के हर अनुभव को आनंद और स्वीकृति के साथ जीता है। उसे किसी भी चीज से भय नहीं होता, क्योंकि वह जानता है कि वह केवल साक्षी है।
निष्कर्ष
ओशो का यह कथन हमें जीवन की गहरी सच्चाई को समझने का अवसर देता है। जब हम यह समझ लेते हैं कि सांसें भी हमारी नहीं हैं, तो हम जीवन के हर अनुभव को एक नए दृष्टिकोण से देख सकते हैं। हम दुःख, क्लेश, और परेशानियों से ऊपर उठ सकते हैं, क्योंकि अब हम उन्हें अपना नहीं मानते।
यह जागरूकता हमें जीवन में वास्तविक स्वतंत्रता और शांति प्रदान करती है। ओशो का यह संदेश आज के जीवन में बहुत प्रासंगिक है, जहाँ लोग बाहरी चीजों के पीछे भागते हैं और अंत में दुःख और असंतोष का अनुभव करते हैं।
जब हम यह समझ लेते हैं कि सांसें भी हमारी नहीं हैं, तो जीवन के हर पल को सहजता, शांति और आनंद से जी सकते हैं। यही ओशो का सच्चा संदेश है, और यही हमें असली मुक्ति की ओर ले जाता है।
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